कोटा में फंसे बिहारी विद्यार्थियों की घर वापसी के मामले में पटना उच्च न्यायालय ने केंद्र को भी पार्टी बनाया है। वास्तव में, शुक्रवार को न्यायाधीश हेमंत कुमार श्रीवास्तव एवं न्यायाधीश राजेंद्र कुमार मिश्र की खंडपीठ द्वारा की जा रही सुनवाई के समय बिहार सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार ने न्यायालय से कहा कि कोटा से बच्चों को लाने के विषय में राज्य सरकार अकेले निर्णय नहीं ले सकती है, तो न्यायालय ने केंद्र को भी पार्टी बनाया।
न्यायालय ने अधिवक्ता अजय ठाकुर के पत्र को याचिका में परिवर्तित किया। इसी पत्र के हवाले मुख्य न्यायाधीश संजय करोल ने कोटा से बच्चों की वापसी के विषय में बिहार सरकार का पक्ष पूछा था। सरकार, न्यायालय को स्पष्ट कर चुकी है कि तालाबंदी के समय दूसरे राज्यों में जहां-तहां फंसे बिहार के व्यक्तियों को यहां नहीं लाया जा सकता है। न्यायालय ने कहा कि इसी मुद्दे पर दायर पवन कुमार की याचिका पर 27 अप्रैल को सुनवाई तय है। इसलिए अब सभी याचिकाओं पर उसी दिन एक साथ सुनवाई होगी। इस बीच केंद्र और राज्य सरकार अपना उत्तर प्रवेश कर सकती है।
खंडपीठ ने इस सम्बन्ध में दायर याचिकाओं पर सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता अंशुल, अमरेंद्र कुमार व अजय कुमार ठाकुर का कहना था कि या तो बिहार सरकार बच्चों को लाए या उन्हें लाने की अनुमति प्रदान करे। न्यायालय ने अमरेन्द्र कुमार की याचिका में राजस्थान सरकार को पक्षकार से हटाने और अधिवक्ता अंशुल की याचिका में केंद्र सरकार को बतौर पक्षकार जोड़ने की अनुमति प्रदान की।