पटना : मंगलवार को रंगों का त्योहार होली मनाया जायेगा। एक दिन पूर्व होलिका दहन होगा। होली में जितना महत्व रंगों का है, उतना ही होलिकादहन का है। शहर के लगभग सभी इलाकों में सार्वजनिक स्थल पर होलिका एकत्र की गयी है। इसका शुभ मुहूर्त रात 11 बज कर 26 मिनट पर है। इस दिन पूर्णिमा तिथि होने से चंद्रमा का प्रभाव अधिक बन रहा है। इस दिन भद्रा का वास पृथ्वी पर रहेगा। लेकिन भद्राकाल रविवार की रात्रि 1.40 मिनट से आरम्न्भ होकर दोपहर 12.32 तक रहेगा। वहीं, सायं को प्रदोष काल में होलिका दहन के समय भद्राकाल नहीं होने से होलिका दहन शुभ फल देने वाला रहेगा।
होलिका दहन का दिन इच्छित कामनाओं की पूर्ति करने के लिए श्रेष्ठ माना गया है। होलिका शब्द संस्कृत से लिया गया है, जिसका अर्थ भूना हुआ अनाज होता है। होलिका दहन में अनाज से हवन करने की परंपरा है। चौक-चौराहों पर एकत्रित लकड़ियों में अग्नि प्रज्वलित कर जल, चावल, फूल, कच्चा सूत, हल्दी, मूंग व गेहूं की बालियां को इसमें डाल होलिका दहन होता है।
ग्रंथों के अनुसार होलिका दहन में गाय के गोबर से बने कंडे और कुछ चुने हुए पेड़ों की सूखि लकड़ियों को ही जलाना चाहिए। क्योंकि धार्मिक दृष्टि से भी पेड़ों पर किसी न किसी देवता का अधिपत्य होता है। उनमें देवी-देवताओं का वास माना जाता है।
होलिका दहन ग्रीष्म ऋतु के आगमन का परिचायक भी माना जाता है। खेतों में फसलों की कटाई हो जाती है। इसके बाद खेत-खलिहानों के सूखे पत्तों के ढेर लग जाते हैं। ऐसे में गरमी से राहत पाने के लिए ठंडी हवा व छांवदार जगहों की शरण ले सकें। इसके लिए होलिका दहन पर सूखे पेड़ व पत्तों को जला कर सफाई की जाती है। अग्नि के साथ कई मौसमी कीट-पतंगे भी जल जाते हैं। इससे पूरी तरह से मौसम के अनुकूल हम वातावरण का निर्माण कर पाते हैं।
शुभ मुहूर्त रात 11:26 बजे पर भद्राकाल रविवार की रात्रि 1:40 मिनट से दोपहर 12:32 तक रहेगा