नई दिल्ली – कोरोना की रोग जब से भारत में फैली है तब से लोगों के बीच यह संदेश दिया जा रहा है कि इस रोग को भगाना है तो सामाजिक दूरी रखना बहुत आवश्यक है। लेकिन कई ऐसे लोग हैं जिन्हें यह बात समझ नहीं आती और उनमें से कुछ वह लोग भी हैं जिन्होंने बीते दिनों दिल्ली में तब्लीगी जमात कार्यक्रम का आयोजन किया।
दिल्ली के निजामुद्दीन क्षेत्र में आयोजित तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में विदेशों से भी कई धर्म प्रचारक मौलवी पहुंचे। चीन से उत्पन्न कोरोना संक्रमण महामारी के बीच यह लोग यहाँ जमा हुए और अब देशभर में फैल चुके हैं। माना जा रहा है कि इनमें से कई लोग कोरोना संक्रमित हो सकते हैं। अब कई राज्यों की सरकारें उन्हें ढूंढ रही हैं ताकि ऐसे लोगों को अलग किया जा सके।
बीती रात दिल्ली के निजामुद्दीन क्षेत्र के एक मस्जिद से भी करीब 200 लोगों को लोकनायक चिकित्सालय के पृथक्रकरण वार्ड में भर्ती कराया गया। माना जा रहा है कि तब्लीगी जमात कार्यक्रम में सऊदी अरब, मलेशिया और तुर्किस्तान से भी लोग आए थे जिनपर संक्रमित होने का संदेह हैं। सूचना के अनुसार जमात में सम्मिलित हुए अधिकतर लोग मलेशिया से आए थे।
इसी कार्यक्रम में सम्मिलित हुए एक 65 वर्षीय कश्मीरी वृद्ध की कोरोना के कारण मृत्यु हो चुकी है। तेलंगाना के 6 और लोग जो इस मरकज़ में सम्मिलित हुए थे वह कोरोनावायरस से पीड़ित पाए गए और मर गए।
तब्लीगी जमात का काम मुख्य उद्देश्य सुन्नी इस्लामी का धर्म प्रचार करना है। पिछले कुछ दिनों में पटना, पुणे, नागपुर, चेन्नई और देश के कई भागों में विदेश इस्लामी प्रचारकों को स्थानीय मस्जिदों में पाया गया है। मलेशिया मूल के एक इस्लामी धर्म प्रचारक की बिहार के अररिया में मृत्यु तक हो चुकी है।
आज ही पाकिस्तान में भी जांच किये गए ३५ में से २७ तब्लीगी जमात के सदस्यों में कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है। इसी संगठन के एक अन्य सदस्य ने लेय्या में एक संगरोध से भागने के लिए एक पुलिस अधिकारी को चाक़ू मार का घायल कर दिया।
विकिलीक्स द्वारा 2011 में जारी एक दस्तावेज़ ने सुझाव दिया कि अल-कायदा ने यात्रा दस्तावेजों और आश्रय प्राप्त करने के लिए नई दिल्ली के निज़ामुद्दीन क्षेत्र में स्थित तब्लीगी जमात के मुख्यालय का प्रयोग एक कवर के रूप में किया। विशेषज्ञों का मानना है कि तब्लीगी चरमपंथियों के लिए एक उपजाऊ भर्ती मैदान है।
इससे पूर्व दारुल उलूम ने अपनी संस्था के भीतर तब्लीगी जमात के प्रत्येक गतिविधि पर प्रतिबंध लगा दिया था और साफ़ शब्दों में कहा था कि उनके संस्था का तब्लीगी जमात से किसी प्रकार का सम्बन्ध नहीं है। अगर कोई छात्र जमात की गतिविधियों में संलिप्त पाया जाता है तो उसके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी। तब्लीगी जमात के अमीर मौलाना साद कांधलवी पर आरोप है कि वह बड़े बड़े इज्तमा में सम्मिलित होकर दीन इस्लाम की गलत व्याख्या कर कौम को भटकाने का काम कर रहे हैं।
जनवरी २०१६ में पाकिस्तान के बाचा खान विश्वविद्यालय पर आक्रमण के बाद पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रान्त पंजाब में सरकार ने आदेश जारी कर तब्लीगी जमात को तालीमी संस्थानों में आने, रुकने या तक़रीर करने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। तबलीगी जमात को पाकिस्तान सरकार तक ने आतंकवाद का जड़ माना है और इसको कट्टरता की तरफ पहला क़दम माना है। लाखों लोगो के इज्तेमा करने वाली तब्लीगी जमात की जड़ें बहुत गहरी है।
भारत सरकार का कोरोना संकट की विपदा के समय विदेशी धर्म प्रचारकों को “पर्यटन वीजा’ देकर भारत आने देना आश्चर्यचकित कर देने वाला है।