जापान का हिरोशिमा शहर उन दो इमारतों को गिराने की योजना बना रहा है, जो द्वितीय विश्व युद्ध (1945) के परमाणु हमले में बच गई थीं। हालांकि, कुछ स्थानीय लोग इन्हें ऐतिहासिक धरोहर के रूप में सहेजना चाहते हैं। इनका कहना है कि यह इमारतें हमें परमाणु बम की भयावहता बताती हैं।
इनका निर्माण 1913 में हुआ था। सबसे पहले इनका इस्तेमाल सेना के कपड़े बनाने के कारखाने के रूप में किया जाता था। बाद में यहां बच्चों का छात्रावास बना दिया गया। फिर इसका प्रयोग एक अस्थायी चिकित्सालय के रूप में भी किया गया।
परमाणु बम हमले ने शहर के अधिकांश हिस्सों को चपेट में लिया था। हालांकि, इमारतें हमले में बच गई थीं, क्योंकि वे रीनफोर्स्ड कंक्रीट से बनी थीं। मेटल की बनी खिड़कियों और दरवाजों को थोड़ी-बहुत क्षति हुई थी, जो अभी भी नजर आती है। 2017 में अधिकारियों ने जांच में पाया कि भूकंप के कारण से इमारत को नुकसान हुआ है और इनके गिरने की संभावना है। यही वजह है कि प्रशासन 2022 तक इन्हें ध्वस्त करना चाहता है। साइट पर एक तीसरी इमारत को संरक्षित किया जाएगा। इसकी दीवारों और छत की मरम्मत की जाएगी और इसे भूकंप से बचाने के लिए मरम्मत की जाएगी।
- 89 वर्ष की इवाओ नकासिनी सेकंड वर्ल्ड वॉर के समय जब हमला हुए थे, तब वे इस इमारत में उपस्थित थीं। वे अब इमारतों के संरक्षण की मांग करने वाले एक स्थानीय समूह की प्रमुख हैं। इवाओ का कहना है, " भावी पीढ़ी को इसके ऐतिहासिक महत्व को बताया जाना चाहिए। इसलिए हम किसी भी तरह से धवस्त किए जाने को स्वीकार नहीं कर सकते। हम इसका विरोध करते हैं।"
- सालों से इनका प्रयोग बंद है। हालांकि, स्थानीय अधिकारी की सहायता से दौरे किए जा सकते हैं। 69 वर्ष के एक विजिटर ने बताया कि जब मैंने उन्हें पहली बार देखा तो परमाणु बम की भयावहता महसूस की। इसलिए मैं चाहता हूं कि इन सभी को संरक्षित किया जाए।
- मई 1945 में जर्मनी के सरेंडर करने के बाद भी एशिया में जापान लगातार युद्ध में बना रहा।
- अमेरिका चाहता था कि जापान बिना शर्त आत्मसमर्पण करे, शांति की पहल को अस्वीकृत किए जाने के बाद अमेरिका ने जापान के शहर हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराए।
- पहला बम हिरोशिमा पर गिराया गया, जिसमें करीब 1 लाख 40 हजार लोग मारे गए थे।
- जब जापान की ओर से तत्काल आत्मसमर्पण नहीं किया गया तो तीन दिन बाद अमेरिका ने नागाशाकी पर बम गिराए।
- हमले के 6 दिनों के बाद जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया, इसके साथ ही द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति हुई।