देश में कोरोनावायरस के विरुद्ध चल रही लड़ाई के बीच शिक्षा जगत से अच्छी समाचार है। अब देश के सभी आईआईटीज, एनआईटीज और सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में सरकार की ओर से केंद्रीय विद्यालय संचालित किए जाएंगे। इस संबंध में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आईआईटीज से इंफ्रास्ट्रक्चर सहित अन्य बिंदुओं पर प्रस्ताव मांगा है। इससे पहले कई आईआईटीज में निजी विद्यालयों का संचालन हो रहा था। नवंबर में दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर एक याचिका के बाद न्यायालय ने आईआईटीज में चल रहे निजी विद्यालयों को बंद करने के आदेश दिए थे।
अब मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने केंद्रीय विद्यालय संचालित करने के साथ इन विद्यालयों में प्राथमिकता के आधार पर संबंधित संस्थान के कर्मचारियों के बच्चों को प्रवेश देने के आदेश जारी किए हैं। वर्तमान में 23 में से सात आईआईटीज, 31 एनआईटी में से मात्र दो व केंद्र व राज्यों को मिलाकर 50 में से मात्र आठ सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में ही केंद्रीय विद्यालय संचालित हो रहे हैं।
आईआईटी मंडी के पूर्व कर्मचारी सुजीत स्वामी की याचिका पर पूर्व में दिल्ली हाईकाेर्ट ने आईआईटी में चल रहे निजी विद्यालय बंद करने के आदेश दिए थे। तद्पश्चात दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश की पालना के संबंध में स्वामी ने एमएचआरडी में नोटशीट के लिए आरटीआई प्रवेश की। तद्पश्चात यह तथ्य सामने आया। विशेषज्ञ के अनुसार सरकारी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए यह एक बड़ा कदम है।
देश भर में कई आईआईटीज, एनआईटीज और विश्वविद्यालयों में यह विद्यालय संचालित हो रहे हैं। आईआईटी गुवाहटी, दिल्ली, बॉम्बे, जोधपुर, मद्रास, कानपुर, खड़गपुर, एनआईटी सिलिचर, अगरतला, सेंट्रल विश्वविद्यालय तेजपुर, सिलिचर, जम्मू, सागर, वर्धा, शिलांग, मिजोरम और नागालैंड में केंद्रीय विद्यालय संचालित हो रहे हैं।
आईआईटीज और एनआईटीज में कर्मचारियों के एक संस्थान छोड़कर दूसरे संस्थान में जाने की स्थिति में छात्र एक केंद्रीय विद्यालय से दूसरे केंद्रीय विद्यालय में प्रवेश ले सकेगा। सीटें खाली रहने पर अन्य छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा। इससे पहले परिसर में संचालित होने वाले निजी विद्यालय में वार्षिक 40 से 50 हजार रुपए बतौर शुल्क के लिए जा रहे थे। अब इससे कर्मचारियों पर भी भार कम होगा।