कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की बच्चियां अब सिर्फ आत्मरक्षा के लिए ही कराटे नहीं सीखेंगी, बल्कि इसमें अपना कॅरियर भी बना सकेंगी। अब इन लड़कियों को इच्छानुसार कराटे में काले बेल्ट तक प्रशिक्षण दिलाया जाएगा।
कक्षा 6 से 8 तक की लड़कियों को पहले मात्र 10 दिनों का प्रशिक्षण दिलाया जाता था, जिसे बढ़ाकर 36 दिनों का किया जा रहा है। बेसिक प्रशिक्षण के बाद यह लड़कियां बेल्ट में प्रगति के लिए आगे भी प्रशिक्षण जारी रख सकेंगी। बिहार शिक्षा परियोजना परिषद राज्य के 534 प्रखंडों में संचालित इन स्कूलों में चरणबद्ध तरीके से इसे मार्च, 2020 तक लागू करेगा।
इस योजना के लिए पहले चरण में 2 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में पढ़ने वाली लड़कियों को कराटे में काले बेल्ट प्राप्त करने के बाद रोजगार का अवसर मिलेगा। इसी स्कूल में यह लड़कियां प्रशिक्षक के तौर पर कार्य करेंगी। हर दिन 500 रुपए की दर से इन्हें पारिश्रमिक दिया जाएगा।
36 दिनों के प्रशिक्षण के बाद लड़कियों की परीक्षा होगी। इसके आधार पर उनकी ग्रेडिंग कर बेल्ट भी बदल दिया जाएगा। कराटे सीखने के लिए उत्सुक लड़कियों को आगे भी प्रशिक्षण दिलाया जाता रहेगा। इन लड़कियों को काले बेल्ट तक प्रशिक्षण दिलाया जाएगा।
कराटे प्रशिक्षण में किए गए परिवर्तन के संबंध में बीईपी ने सभी जिलों को निर्देश भेज दिया है। राज्य में अभी सभी प्रखंडों में एक-एक कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय हैं। 8वीं कक्षा से इन्हें उत्क्रमित कर 12वीं तक किया जा रहा है। अबतक राज्य के 93 स्कूल 12वीं कक्षा तक के लिए आवासीय स्कूल में परिवर्तित हो चुके हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में 156 कराटे प्रशिक्षक हैं। इसमें 10 लड़कियां हैं, जिन्होंने कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में ही पढ़ाई की है। विभाग का लक्ष्य है कि इन स्कूलों में प्रशिक्षक के तौर पर यहां से पढ़ाई और कराटे सीखने वाली लड़कियां हो।