बेतिया – कोरोनावायरस से बचाव के लिए जारी तालाबंदी ने किसानों की कमर तोड़ दी है। खेतों में तैयार गेहूं की फसल कटाई के लिए जहां श्रमिक नहीं मिल पा रहे हैं वहीं फसल काटने के लिए हंसुआ पर धार तक भी नहीं लग पा रही है।
उत्तरी बिहार में बिन मौसम अकस्मात् वर्षा से भी किसान परेशान हैं। किसानों की माने तो, 10 से 15 दिनों के बीच फसल नहीं कटी, तो उन्हें हानि होगी।
गेहूं की फसल इस समय पूर्णरूपेण तैयार हो चुकी है। क्षेत्र के कुछ गांवों में ग्रामीणों ने फसल की कटाई भी आरम्न्भ कर दी है। लेकिन, तालाबंदी के कारण इस बार किसानों के सामने श्रमिक और थ्रैसर मशीनों का संकट खड़ा हो गया है। वास्तव में, चंपारण क्षेत्र में हारवेस्टर मशीने अधिकतर गेहूं कटाई के सीजन में हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश से आकर किराये पर फसल निकालने का कार्य करती हैं। लेकिन, इस बार तालाबंदी के कारण बाहरी प्रदेशों से मशीनें पहुंचना संभव नहीं है। जिससे किसानों के सामने फसल की कटाई के साथ उसे निकालना भी चुनौती बना हुआ है।
कृषक मंटू कुमार का कहना है कि तालाबंदी के कारण श्रमिकों का संकट बना हुआ है। छोटे किसान तो अपने परिवारों के साथ स्वयं ही कटाई में जुट गये हैं। लेकिन, बड़े किसानों के सामने फसल को कटाने की समस्या बनी हुई है।
इतना ही नहीं, किसानों को गेंहू कटाई के लिए हंसुआ की कमी भी खल रही है। बाजार में जिन दुकानों पर हंसुआ मिलता है, वह बंद हैं, और पुरानी हंसुआ पर धार भी नहीं लग पा रहे है। ऐसे में किसान स्वयं ही किसी तरह हंसुआ की धार लगाकर गेंहू काटने का प्रयास कर रहे हैं।
“जय बिहार” ने क्षेत्र के प्रगतिशील किसान आदर्श सिंह, जो पेशे से इंजिनियर भी हैं, से जब यह बात साझा की तो उन्होंने ट्रैक्टर्स व आधुनिक कृषि मशीनी उपकरणों को न्यूनतम व उचित किराए पर उपलब्ध कराने की बात कही।
वर्तमान में यह सुविधा पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण एवं शिवहर जिलों में ही उपलब्ध हो पायेगी परन्तु आगामी खरीफ की कटाई से यह सेवा बिहार के अन्य जिलों में भी उपलब्ध करवाने की योजना पर काम चल रहा है।
यदि गेहूं की कटाई के लिए नहीं मिल रहे हैं श्रमिक तो ट्रैक्टर और आधुनिकी यंत्रों के लिए आदर्श सिंह से उनके दूरभाष संख्या 8600 143 137 पर संपर्क किया जा सकता है।
Kya Vaishali me aap ye suvidha denge?