शराबबंदी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार के लिए सबसे बड़ी विफलताओं में से एक रही है। राज्य में पिछले तीन वर्षों से अधिक समय से – जब से शराबबंदी लागू हुई है – सरकार ने 67 हज़ार लोगों को जेल के अंदर भेजा है वहीँ लगभग दो लाख सात हज़ार शराबबंदी के मामले न्यायालयों में लंबित हैं।
राज्य की अदालतों में शराबबंदी से जुड़े मुकदमों के बढ़ते बोझ पर चिंता जताते हुए पटना उच्च न्यायलय ने राज्य सरकार से पूछा कि वह मुकदमों की संख्या को कम करने का कौन सा उपाय कर रही है? मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ इस मसले की सुनवाई कर रही थी।
राज्य के मुख्य सचिव को कोर्ट में एक शपथ पत्र में सरकार के जवाब को दायर करना है।
उच्च न्यायालय ने इस पर चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा कि इस तुलना में कोर्ट, स्टाफ़ और अन्य सुविधाओं का आभाव होने के कारण अब इनकी सुनवाई असंभव होती जा रही है। कोर्ट ने कहा कि जो लंबित मामले हैं उनकी संख्या चिंताजनक स्थिति पर आ गई है।
खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि शराबबंदी कानून से भयावह स्थिति पैदा हो गयी है। बड़ी संख्या में जमानत याचिका दायर है। 90 प्रतिशत याचिकाकर्ताओं को जमानत मिल गयी है। खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार बताए कि न्यायालय ने शराबबंदी मामले में लाखों लोगों को जो जमानत दी है, उनमें से कितने आदेश के विरुद्ध राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय गयी है।
यह पहली बार है कि पटना उच्च न्यायालय ने स्वयं राज्य सरकार द्वारा दायर शपथ पत्र के आधार पर इतनी कड़ी टिप्पणी की है। हालांकि राज्य सरकार ने पिछले एक साल में उपचुनाव में हुई हार के आधार पर शराबबंदी से संबंधित मामलों में गिरफ़्तारी में कमी लाई थी।
सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि मात्र 2629 मामले ही निष्पादित हुए। इसका मतलब राज्य सरकार के वकील सजा दिलाने में फिसड्डी साबित हुए हैं।
शराबबंदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक रहा है। हालांकि जिस प्रकार से बिहार पुलिस ने शुरुआती दिनों से ही इसे पैसा कमाने का एक जरिया बनाया उसके बाद यह योजना न सिर्फ पूर्ण रूप से असफल रही है बल्कि बिहार में आपराधिक मामलों की वृद्धि में एक मुख्य कारक सिद्ध हुई है ।
आज राज्य में स्थिति ऐसी हैं कि महंगे दामों पर हर व्यक्ति को शराब उसके घर तक आसानी से उपलब्ध हो जा रही है। शराबबंदी के बाद पूरे राज्य में एक समानांतर अर्थव्यवस्था क़ाम कर रही है।