दिल्ली में 22 वर्ष बाद उपहार अग्निकांड के वीभत्स दृश्य ताजा हो गए। यहां अनाज मंडी क्षेत्र में रविवार सुबह 5 बजे बैग बनाने वाली चार मंजिला अवैध फैक्ट्री में आग लग गई। आग और प्लास्टिक के धुंए के कारण से 43 मजदूरों की मृत्यु हो गई। मृतकों में 30 बिहार के हैं। इनमें समस्तीपुर के 10, सहरसा के 6, सीतामढ़ी के 5, मुजफ्फरपुर के 3, मधुबनी के 1, बेगूसराय के 1, अररिया के 2, दरभंगा के 2 लोग सम्मिलित हैं। अररिया के दोनों सगे भाई थे। जबकि दरभंगा के दोनों मृतक साला-बहनोई थे।
बिहार के 12 घायल भी हुए हैं। मृतकों में तीन बच्चे भी हैं। 5 जिंदा जल गए। 38 लोगों की मृत्यु दम घुटने से हुई। 62 लोग बचा लिए गए। मजदूर सामने मृत्यु देख रहे थे लेकिन भागने का कोई रास्ता नहीं था। आग दूसरी मंजिल से लगनी आरम्न्भ हुई और कुछ देर में ऊपर की मंजिलों तक फैल गई। पूरी बिल्डिंग में आग का गुबार भर गया। पहली मंजिल पर निवासी लोग जान बचाकर भागने में सफल रहे। दुर्घटना के समय बिल्डिंग में 100 से अधिक लोग उपस्थित थे।
ये लोग पूरे दिन कार्य करते थे और फिर यहीं सो जाते थे। एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडर आदित्य प्रताप सिंह ने बताया कि अधिकांश लोगों की मृत्यु आग के कारण कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस फैलने से हुई। समूची बिल्डिंग में धुएं के साथ यह गैस फैल गई और लोगों का दम घुट गया। फैक्ट्री मालिक रेहान और मैनेजर फुरकान को गिरफ्तार कर लिया गया है।
नाम | पता | गुड्डू | हरिपुर, समस्तीपुर | मो। सदरे | हरिपुर, समस्तीपुर | मो। साजिद | हरिपुर, समस्तीपुर | मो। अकबर | हरिपुर, समस्तीपुर | जो जो | हरिपुर, समस्तीपुर | गनवा | हरिपुर, समस्तीपुर | महबूब | सींगिया, समस्तीपुर | अतातुल | सींगिया, समस्तीपुर | भूबिया | बेलाही, समस्तीपुर | साजिद | हरिहर, समस्तीपुर | फजल | नरियार, सहरसा | सजिम | नरियार, सहरसा | अफजल | नरियार, सहरसा | मो। सज्जार | नरियार, सहरसा | ग्यासुद्दीन | नरियार, सहरसा | अफसार | नवहट्&zwnj टा, सहरसा | दुलारे | बुधनगरा, सीतामढ़ी | अब्बास | बुधनगरा, सीतामढ़ी | गुलाब | बुधनगरा, सीतामढ़ी | एनुल | सिटकी, सीतामढ़ी | सनाउल्लाह | बोखरा, सीतामढ़ी | नवीन कुमार | वरीजाना, बेगूसराय | मो। साजिद | उफरोली, मुजफ्फरपुर | राजू | उफरोली, मुजफ्फरपुर | बबलू | मुजफ्फरपुर | शाकिर | मलमल, मधुबनी | जाहिद | हेगुआ, अररिया | अयूब | हेगुआ, अररिया | अखलाक | दरभंगा शहर | आदिल | दरभंगा शहर |
गुलरेज | दरभंगा | परवेज | दरभंगा | मुकीम | मधुबनी | मो। परवेज | मधुबनी | मुबारक | सहरसा | मुस्तफा | सीतामढ़ी | आसिफ | अररिया | मो। मूलम | समस्तीपुर | मो। साहिबजान | समस्तीपुर | मो। मन्नान | समस्तीपुर | मो। मेहताब | समस्तीपुर | मो। सुफियान | समस्तीपुर |
हादसे में दरभंगा जिले के बवारा बुदरू गांव के निवासी मो। शाहिद बाल-बाल बच गए। वह इमारत में ही थे। उन्होंने बताया- मैं सोया हुआ था। सुबह करीब पौने पांच बजे एक व्यक्ति कमरे में आया और सबको जगाकर बोला की नीचे आग लग गई। हम लोग उठे और नीचे देखने गए। इतने में आग फैल गई। हम दोबारा ऊपर नहीं आ पाए। जो ऊपर थे वह ऊपर ही रह गए और जो नीचे थे वे नीचे रह गए। पुन: अंदर जाने का कोई मौका नहीं मिला।
मुजफ्फरपुर के निवासी कलााउद्दीन। उन्होंने बताया कि उनके परिजन मुस्तफा भी दुर्घटना में झुलस गए।
मुजफ्फरपुर के निवासी मो. मुस्तफा भी दुर्घटना में झुलस गए। उनके परिजन कलााउद्दीन ने बताया कि जैसे ही अनाज मंडी में आग की खबर मिली। उन्होंने तुरंत मुस्तफा को फोन किया। वह उस समय एंबुलेंस में थे। मुस्तफा ने मुझे बताया कि रात में 3 बजे तक फिल्म देखने के बाद वह सो गए। सुबह 4.30 बजे गर्मी के कारण से नींद खुली। गेट खोला तो बाहर धुआं ही धुआं था। बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं नजर आ रहा था। धुएं के कारण सांस नहीं ले पा रहे थे। भागकर एक कोने वाले कमरे में गए और खिड़की खोली तो जान में जान आई। 30 मिनट बाद कोई आया और खींचकर बाहर निकाला।
धुएं से घिरे मुशर्रफ नाम के युवक ने जिंदगी के अंतिम क्षणों में अपने दोस्त मोनू से साढ़े तीन मिनट तक फोन पर बात की। बातचीत के प्रमुख अंश…
हैलो मोनू, भैया आज मैं समाप्त होने वाला हंू। करोलबाग आ जाना। सांस भी नहीं ली जा रही। आग कैसे लग गई?
पता नहीं। अब कुछ नहीं हो सकता है। मेरे घर का ध्यान रखना।
फायर ब्रिगेड को फोन करो कुछ नहीं हो रहा। मेरे घर में एकदम से मत बताना। पहले बड़ों को बताना (कराहते हुए या कला्लाह…)। हैलो, हैलो…(दूसरी ओर से उल्टी करने की आवाज आई)। तुझे कुछ नहीं होगा मेरे भाई, कूद जा। रास्ता नहीं है। अब तो गए भैया। बाहर छज्जे की ओर जा। भाई, जैसे चाहे मेरा घर चलाना। बच्चों और सब घरवालों को संभालकर रखना…(फोन कट गया।)
छोटी सी इमारत में 100 से अधिक लोग सो रहे थे। फैक्ट्री का गेट संकरा था। ऐसे में सभी फंस गए। संकरी गलियों में दोनों साइड में सामान रखा था। दुर्घटना के बाद सहायता को एंबुलेंस भी तेजी से भीतर न जा सकीं।
फायर अधिकारी ने बताया कि उन्हें केवल अाग लगने की सूचना दी गई थी। कॉल करने वाले ने यह नहीं बताया था कि इमारत में कई लोग भी फंसे हैं। ऐसे में सिर्फ आग बुझाने की तैयारी से पहुंचे न कि लोगों को बचाने की।
इमारत में चल रही फैक्ट्री पूरी तरह से अवैध थी। उसके पास किसी भी तरह की परमिशन नहीं थी। जिस अनाजमंडी क्षेत्र में दुर्घटना हुआ वहां इस तरह की कई फैक्ट्रियां धड़ल्ले से चल रही हैं।