बिहार में मानसून आगमन और विदाई की अब नई तिथि निर्धारित की जाएगी। जलवायु परिवर्तन के कारण तिथि में परिवर्तन की अनुशंसा वैज्ञानिकों की एक टीम ने केंद्रीय मौसम विज्ञान विभाग से की है। पटना मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्व निदेशक एके सेन की मानें, तो 30 वर्ष बाद इसमें परिवर्तन किया जाएगा। 30 वर्ष पर जलवायु परिवर्तन की समीक्षा की जाती है और मानसून-आगमन और विदाई की तिथि को आवश्यकता अनुसार बदला जाता है। इससे पहले 1990 में बिहार में मानसून आगमन-विदाई की तिथि परिवर्तित हुई थी। इस बार भी केंद्र स्तर पर विशेषज्ञों की एक कमेटी बनी है, जो इसी माह अपनी रिपोर्ट देगी।
बिहार में मानसून आगमन की तिथि 10 जून मानी जाती है। अब 15 जून से 22 जून के बीच हो सकती है। शीघ्र ही तिथि पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। कमेटी में सम्मिलित विशेषज्ञों की मानें, तो बिहार के साथ झारखंड, उत्तराखंड, दिल्ली आदि में मानसून आगमन व विदाई की तिथियों को बढ़ाया जाएगा। 1941 से देश में मानसून के आने और जाने की तिथि क्रमश: 1 जून और 1 सितंबर निर्धारित है। केरल की तिथि पूर्व की तरह ही 1 जून रहेगी लेकिन बिहार में बदल जाएगी। वैज्ञानिकों ने पूरे देश में पिछले 40 वर्षों के मानसून आगमन और विदाई के आंकड़ों पर रिसर्च करने के बाद नई तिथि निर्धारण की दिशा में कार्य आरम्न्भ किया है।
कृषि वैज्ञानिक की मानें, तो मानसून आगमन और विदाई की तिथि में परिवर्तन से किसानों को बहुत लाभ होगा। कृषि वैज्ञानिक अनिल झा ने बताया कि फसल चक्र को री डिजाइन करने की तैयारी है। किसान अब नई तिथि के अनुसार बोएं -काटें ताकि अधिक पैदावार हो सके। पर्यावरणविद डीके पॉल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून बिहार में निर्धारित तिथि को नहीं ही आता है। तिथि में परिवर्तन किसानों के हित में।