इस्लामी कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-अल-अव्वल की 12वीं तिथि को मीलाद उन नबी मनाया जाता है जिसे ईद मिलादुन्नबी कहा जाता है। माना जाता है इस दिन मक्का शहर में 571 ईस्वी में पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब का जन्म हुआ था। इसी की याद में ईद मिलादुन्नबी का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष यह दिन अंग्रजी कैलेंडर के अनुसार 10 नवंबर को है।
इस्लामी जानकारों के अनुसार मीलाद उन-नबी शब्द अरबी के शब्द “मौलिद” से बना है जिसका अर्थ “जन्म” होता है। अरबी भाषा में “मौलिद उन नबी” का अर्थ हज़रत मुहम्मद का जन्मदिन होता है। कालांतर में इसे “मीलाद उन-नबी” कहा जाने लगा। लगभग सभी मुस्लिम देशों में मीलाद उन नबी का हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
ईद क्यों मनाई जाती है ?
“ईद” अरबी शब्द है जिसका हिंदी अर्थ पर्व या त्योहार है। उर्दू और फारसी में भी ईद का अर्थ खुशी या हर्षोल्लास होता है।
मुस्लिम कैलेंडर के अनुसार ईद वर्ष में 3 बार मनाई जाती हैं।
१. पहली ईद उल-फ़ित्र जो कि रमजान के रोजों के बाद शव्वाल महीने की पहली तिथि को मनाई जाती है। इसे मीठी ईद भी कहा जाता है। इस दिन खीर बनाई जाती है और खुशी मनाते हुए सबको खिलाई भी जाती है।
२. इसके बाद इस्लामी कैलेंडर के आखरी महीने की दसवीं तिथि को ईद-उल-अज़हा मनाया जाता है। इसे बकरीद भी कहा जाता इसी दिन हज भी अदा किया जाता है।
३. इसके अतिरिक्त इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-अल-अव्वल की 12वीं तिथि को मीलाद उन नबी मनाया जाता है जिसे ईद मिलादुन्नबी कहा जाता है। यह ईद पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब के जन्मदिन की खुशी में मनाई जाती है।
इस्लाम में 2 ही त्योहार मनाए जाते थे
जानकार कहते हैं कि पैगंबर हजरत मोहम्मद जब मक्का से हिजरत यानी पलायन करके मदीना गए तो देखा कि वहां के लोग शराब पीकर और जुआ खेलकर त्योहार मनाते और हुड़दंग मचाते थे। उनकी इन कृत्यों को देखकर पैगंबर मुहम्मद आहत हुए। इसके बाद उन्होंने मदीना के मुसलमानों को समझाया कि अल्लाह ने तुम्हारे लिए खुशी के इससे श्रेष्ठतर दो दिन बनाये हैं। एक ईदुल फितर मतलब मीठी ईद और दूसरा ईदुल अजहा यानी बकरीद का दिन। पैगम्बर ने मुसलमानों को सिर्फ दो त्योहार मनाने की सीख दी थी। बाद में उनके अनुयायियों ने उनके जन्मदिवस के अवसर पर ईद मीलाद-उन-नबी मनाने के प्रथा आरम्न्भ की।
कैसे मनाएं ईद मिलाद उन नबी
१. इस दिन पैगंबर मोहम्मद के अनुयायियों द्वारा दी गई शिक्षा को पढ़ा जाता है और उन्हें याद किया जाता है। मोहम्मद हजरत साहब के द्वारा किए गए सभी अच्छे कामों को याद किया जाता है।
२. ईद मिलाद उन नबी पर रात भर प्रार्थनाएं चलती हैं। पैगंबर मोहम्मद साहब के प्रतीकात्मक पैरों के निशान पर प्रार्थनाएं की जाती हैं।
३. मोहम्मद साहब की शान में शांतिपूर्ण जुलूस निकाले जाते हैं।
4. इस्लाम का सबसे पवित्र ग्रंथ कुरान भी इस दिन पढ़ा जाता है।
५. इसके अतिरिक्त लोग मक्का मदीना और दरगाहों पर जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन को नियम से निभाने से लोग अल्लाह के करीब जाते हैं।