पटना । केंद्र के निर्देश के बाद प्रदेश में डीजल और पेट्रोल से संचालित होने वाले वाहनों को सीएनजी में कन्वर्ट करने के लिए सरकार अनुदान दे रही है। इसके बाद भी प्रदेश में 12 लाख ऐसे ऑटो व मेटाडोर हैं जिनका निबंधन तो हो चुका है लेकिन परमिट नहीं है। इस वजह से ऐसे वाहनों को अनुदान नहीं मिलेगा। ऐसे वाहनों को सड़क से हटाया जाएगा या फिर वाहन मालिक स्वयं गाड़ियों को सीएनजी में कन्वर्ट करेंगे। प्रदेश में करीब चार लाख वाहनों को सीएनजी और बैट्री में कन्वर्ट करने के लिए सरकार की ओर लगभग नौ अरब रुपए व्यय किए जा रहे हैं। सरकारी योजना के अनुसार शहरी क्षेत्रों में 31 जनवरी 2021 और ग्रामीण क्षेत्रों में मार्च 2021 तक पेट्रोल और डीजल से संचालित होने वाले वाहनों को सीएनजी में कन्वर्ट कर दिया जाएगा। इसके बाद ऐसे ऑटो और मेटाडोर पर रोक लगा दी जाएगी, जो पेट्रोल और डीजल से संचालित होंगे।
बिहार के दो दर्जन जिलों में सड़क पर वाहनों की संख्या को देखते हुए ऑटो और मेटाडोर को पिछले छह वर्षों से परमिट नहीं दी जा रही है। पटना में ही 2014 के बाद परमिट पर रोक लगी हुई है। इसके बावजूद सड़कों पर लगभग 60 हजार ऑटो और मेटाडोर हैं। परिवहन विभाग की ओर से मात्र 10 हजार ऑटो और 700 मेटाडोर को ही परमिट दिया गया है। भागलपुर में 7 हजार और मुजफ्फरपुर 5500 वाहनों को परमिट दी गई है। बिहार में एक करोड़ 10 लाख वाहनों का निबंधन है जिसमें पटना में ही लगभग 14 लाख वाहनों का संचालन हो रहा है।
डीजल एवं पेट्रोल चलित तिपहिया वाहन को सीएनजी में कन्वर्ट करने के लिए सरकार की ओर से 40 हजार रुपए अनुदान दिया जा रहा है। इसके साथ ही ऐसे तिपहिया वाहन जिसमें 7 लोगों को बैठने की क्षमता है, उसे बैट्री में बदलने के लिए 25 हजार रुपए अनुदान दिया जा रहा है। व्यवसायिक मोटर कैब तथा मैक्सी कैब को सीएनजी किट में कन्वर्ट करने के लिए सरकार की ओर से 20 हजार रुपए अनुदान दिया जा रहा है।