प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को कानपुर में राष्ट्रीय गंगा परिषद की पहली बैठक में सम्मिलित हुए। इसमें नमामि गंगे परियोजना के अगले चरण और नए एक्शन प्लान पर चर्चा हुई। इसके बाद मोदी ने परियोजना के प्रभाव का निरीक्षण करने के लिए अटल घाट पर नौकायन भी किया। प्रधानमंत्री नौकायन से लौटते समय घाट की सीढ़ियों पर लड़खड़ा गए। इस पर्यंत साथ उपस्थित एसपीजी के जवानों ने उन्हें संभाला। नौकायन के लिए प्रयागराज से डबल डेकर मोटर बोट मंगाई गई थी।
बैठक में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत, बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी और कई अधिकारी सम्मिलित हुए। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी न्योता भेजा गया था, लेकिन वे सम्मिलित नहीं हुईं।
2071 किमी। भू-भाग में प्रवाहित होने वाली गंगा नदी का कानपुर में पड़ने वाला भाग सबसे अधिक प्रदूषित माना जाता है। कानपुर में होने वाली इस बैठक से सरकार संदेश देना चाहती है कि वह नमामि गंगे परियोजना के प्रति गंभीर है। गंगा और उसकी सहायक नदियों को अविरल बनाना भाजपा के एजेंडे में सम्मिलित है।
गंगा और इसकी सहायक नदियों का प्रदूषण समाप्त करने और इन्हें पुनर्जीवित करने के लिए 2014 में केंद्र सरकार ने नमामि गंगे परियोजना आरम्न्भ की थी। इसकी जिम्मेदारी केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा कायाकल्प को दी गई है। परियोजना की अवधि 18 वर्ष है। सरकार ने 2019-2020 तक नदी की सफाई पर 20 हजार करोड़ रुपए का बजट तय किया है।
कानपुर में 128 वर्ष पुराना सीसामऊ नाला एशिया में सबसे बड़ा है। अंग्रेजों ने शहर के गंदे जल की निकासी के लिए इसका निर्माण किया था। करीब 40 मोहल्लों से सीसामऊ नाले से रोजाना 14 करोड़ लीटर प्रदूषित जल गंगा में गिरता था। अब नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत 28 करोड़ रुपए की लागत से इसे साफ किया गया। इसे डायवर्ट कर वाजिदपुर और बिनगवां उपचार संयंत्र में भेजा जा रहा है।