. भ्रष्टाचार के विरुद्ध केंद्र सरकार की कड़ी कार्रवाई जारी है। उसने 21 भ्रष्ट टैक्स अधिकारियों को जबरदस्ती रिटायर कर दिया है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने यह जानकारी दी। इन पर गलत तरीकों से पैसा कमाने के आरोप थे।
सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने ग्रुप बी के 21 आयकर अधिकारियों को जबरदस्ती सेवानिवृति दी है। केंद्रीय सिविल सर्विसेस (पेंशन) रूल्स के नियम 56(जे) के अंतर्गत जनहित में इन अफसरों को रिटायर किया गया है। इन पर भ्रष्टाचार और दूसरे तरह के कई गंभीर आरोप थे। इनमें से कई के विरुद्ध सीबीआई जांच भी चल रही थी।
सेवामुक्त किए गए अफसरों में से 64 वरिष्ठ भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को हटाने की कार्रवाई जून में आरम्न्भ की गई थी। तब से अब तक 85 कर अधिकारियों को जबरन रिटायर कर सेवामुक्त किया जा चुका है। इनमें 64 वरिष्ठ अफसर भी सम्मिलित हैं। इसमें 12 सीबीडीटी के हैं। इससे पहले सितंबर में सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स (सीबीआईसी) के 15 अधिकारियों को जबरन रिटायर किया गया था।
सूत्रों ने बताया कि हाल ही में जिन अधिकारियों को जबरन रिटायर किया गया है, उनमें तीन सीबीडीटी के मुंबई ऑफिस और दो ठाणे जिले के हैं। इसके अलवा विशाखापत्तनम, हैदराबाद, राजमुंदरी, हजारीबाग, नागपुर, राजकोट, जोधपुर, माधोपुर और बीकानेर, भोपाल और इंदौर में तैनात अधिकारियों को सेवामुक्त किया गया है।
प्रधानमंत्री ने पहले हीकार्र&zwnj&zwnj&zwnjवाई के संकेत दिए थे भ्रष्ट अफसरों के विरुद्ध इस कार्रवाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले से दिए भाषण से जोड़कर देखा जा रहा है। उन्होंने कहा था कि, सिस्टम में कुछ ऐसे अफसर हो सकतेहैं, जिन्होंने अपने पद का गलत इस्तेमाल करके करदाताओं को परेशान किया है। ये लोग ईमानदार करदाताओं के खिलाफमामूली प्रक्रियात्मक उल्लंघन से जुड़े मामलों में आवश्यकता से अधिक कठोर कार्रवाई करते हैं।
ज्यादातरअधिकारीघूस लेते पकड़े गए
सेवानिवृत्त होने वाले आधे से अधिक अधिकारी ऐसे थे, जिन्हें सीबीआई ने गलत तरीके से लाभ लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इनमें से एक अधिकारी को 50 हजार रुपये की घूस लेते पकड़ा गया था। सूत्रों के मुताबिकएक अधिकारी के बैंक लॉकर में कथित तौर पर 20 लाख रुपये से अधिक की नकदी मिली थी, जबकि ठाणे में तैनात एक अफसर ने तो अपने और पत्नी के नाम पर 40 लाख रुपये की चल और अचल संपत्ति अर्जित की थी।
केंद्रीय सिविल सेवा नियम के अंतर्गत होती है काम की समीक्षा सरकार ने इससे पहले जून में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क (सीबीआईसी) के आयुक्त स्तर के 15 अधिकारियों को जबरन रिटायर कर दिया था। इन पर भ्रष्टाचार, रिश्वत लेने, तस्करी और आपराधिक साजिश जैसे गंभीर आरोप लगे थे। केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 का रूल 56 (जे) सरकार को सरकारी कर्मचारियों के काम की समय-समय पर समीक्षा का अधिकार देता है। इसमें यह देखा जाता है कि कि संबंधित अधिकारी को सार्वजनिक हित में नौकरी पर रखा जाये या रिटायर कर दिया जाए।