मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने शुक्रवार को वर्तमान वित्त वर्ष हेतु भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर शून्य प्रतिशत कर दिया है। मूडीज के अनुसार, भारत की सकल घरेलू उत्पाद कम रहेगी।
एजेंसी ने कहा कि भारत की रेटिंग पर नेगेटिव आउटलुक से संकट बढ़ रहे हैं और आर्थिक, संस्थागत विषयों के लिहाज से सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि पहले की तुलना में बहुत कम रहेगी।
इससे पहले नवंबर 2019 में एजेंसी ने भारत के आउटलुक को स्थिर से नेगेटिव में बदल दिया था। यद्यपि, एजेंसी ने देश की ‘ Baa2’ रेटिंग की पुष्टि की थी। अब एजेंसी ने कहा कि भारत की क्रेडिट प्रोफाइल को देश की बड़ी और विविध अर्थव्यवस्था और स्थिर घरेलू वित्त पोषण का समर्थन प्राप्त है।
ग्रामीण घरों में लंबे समय तक वित्तीय तनाव, कमजोर रोजगार सृजन और गैर बैंक वित्तीय संस्थानों के बीच क्रेडिट संकट ने इसके कमजोर पड़ने की संभावना को और अधिक बढ़ा दिया है।
कोरोनावायरस के कारण अर्थव्यवस्था की परिस्थिति पतली हो रही है, साथ ही आंशिक रूप से लंबे समय से चली आ रही आर्थिक और संस्थागत कमजोरियों ने भी अर्थव्यवस्था को कमजोर किया है।
- मालूम हो कि विश्व बैंक के अनुसार, देश की आर्थिक वृद्धि दर 2020-21 में 1.5 प्रतिशत से 2.8 प्रतिशत रह सकती है। 1991 में आर्थिक सुधारों के बाद से यह सबसे धीमी वृद्धि दर होगी।
- एशियाई विकास बैंक ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2020-21 में चार प्रतिशत रहने का अनुमान जताया।
- सेंट्रम इंस्टीट्यूशनल अनुसंधान ने भी 2020-21 में आर्थिक वृद्धि दर अनुमान 5.2 प्रतिशत से कम कर 3.1 प्रतिशत कर दिया है।
- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष को भारत की वृद्धि दर 1.9 प्रतिशत रहने तथा विश्वबैंक को 1.5 प्रतिशत से 2.8 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है।
- क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसएंडपी वैश्विक रेटिंग्स ने भी चालू वित्त वर्ष हेतु भारत की वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 1.8 प्रतिशत कर दिया थी। कोरोनावायरस के संक्रमण के कारण आई वैश्विक महामारी के दृष्टिगत यह कटौती की गई। एजेंसी के अनुसार, यह 2021-22 में बढ़कर 7.5 प्रतिशत रह सकता है।
- फिच रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2020-21 हेतु भारत की आर्थिक वृद्धि दर के पूर्वानुमानों में कटौती कर इसे घटाकर 0.8 प्रतिशत कर दिया है।