नयी दिल्ली : मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में दिल्ली की न्यायालय ने मुख्य आरोपी व शेल्टर होम के संचालक ब्रजेश ठाकुर समेत 19 को कई लड़कियों के यौन शोषण व शारीरिक उत्पीड़न का दोषी ठहराया है़
दोषियों की सजा पर 28 जनवरी को बहस होगी। आरोपियों में 12 पुरुष और आठ महिलाएं सम्मिलित थीं। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ ने ब्रजेश ठाकुर को पॉक्सो कानून के अंतर्गत यौन शोषण और गैंगरेप का दोषी ठहराया। शेल्टर होम ठाकुर द्वारा चलाया जा रहा था। एक आरोपी विक्की को सबूतों के अभाव में न्यायालय ने बरी कर दिया। महिला आरोपियों में से एक मुजफ्फरपुर की बाल संरक्षण इकाई की पूर्व सहायक निदेशिका, रोजी रानी को न्यायालय ने निजी मुचलके पर जमानत देदी, क्योंकि वह एक वर्ष से जेल में थी और इस मामले में अधिकतम सजा एक वर्ष ही है। न्यायालय ने 30 मार्च, 2019 को ठाकुर समेत अन्य आरोपियों के विरुद्ध बलात्कार व नाबालिगों के यौन शोषण का आपराधिक षड्यंत्र रचने के आरोप तय किये थे। दोषियों पर बच्चों संग क्रूरता के आरोप भी न्यायालय ने अपने 1,546 पन्नों के निर्णय में ठाकुर को धारा 120बी (आपराधिक षड्यंत्र), 324 (खतरनाक हथियारों या माध्यमों से चोट पहुंचाना), 323 (जानबूझ कर चोट पहुंचाना), उकसाने, पॉक्सो कानून की धारा 21 (अपराध होने की जानकारी देने में विफल रहने) और किशोर न्याय कानून की धारा 75 (बच्चों के साथ क्रूरता) के अंतर्गत भी दोषी ठहराया है। एक दोषी रोने लगा, बोला मैं आत्महत्या कर लूंगा निर्णय सुनाये जाने के बाद, एक दोषी रवि न्यायालय कक्ष में रोने लगा। उसने जज से कहा कि मैंने आपके द्वारा बताया गया कोई भी अपराध नहीं किया है। मैंने लड़कियों के साथ इस तरह का कोई शर्मनाक अपराध नहीं किया है। आप मुझे जेल भेज रहे हैं। मैं आत्महत्या कर लूंगा। इसके बाद, कुछ महिला दोषी भी रोने लगीं। कोर्ट के निर्देश पर केस हुआ था दिल्ली ट्रांसफर उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर इस मामले को सात फरवरी, 2019 को बिहार के मुजफ्फरपुर की स्थानीय न्यायालय से दिल्ली के साकेत जिला न्यायालय परिसर की पॉक्सो न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया था। यह मामला टीस द्वारा 26 मई, 2018 को सरकार को रिपोर्ट सौंपने के बाद सामने आया था।