भारत की अनेक धार्मिक अवधारणाओं में गंगा नदी को देवी के रूप में निरुपित किया गया है। भारत की नदियों में सबसे पवित्र गंगा को माँ का स्थान प्राप्त है। यह मान्यता है कि गंगा में स्नान करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। बहुत से पवित्र तीर्थस्थल गंगा मैया के तट पर ही बसे हुए हैं, जिनमें वाराणसी, हरिद्वार और प्रयागराज प्रमुख हैं। ।
गंगा नदी विश्व भर में अपनी शुद्धीकरण क्षमता के कारण जानी जाती है। लम्बे समय से प्रचलित इसकी शुद्धीकरण की मान्यता के वैज्ञानिक आधार भी है। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं।
विडम्बना यह है कि भारत के 11 राज्यों में देश की जनसँख्या के 40 प्रतिशत लोगों की जीवनरेखा रही गंगा दिन-प्रतिदिन मैली होती जा रही है। गंगोत्री से अवतरित पावन गंगा को ऋषिकेश से लेकर कोलकाता तक उसके किनारे बसे बिजलीघर, रासायनिक खाद और चमड़े के कारख़ाने और शहरों की प्रवाहित मल मूत्र और गन्दगी ने प्रदूषित कर दिया है। फलत: आज यह विश्व की छठी सबसे प्रदूषित नदी मानी जाती है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर केंद्र सरकार ने गंगा की सफाई के लिए वर्ष 2020 की समयसीमा तय की है और 20 हजार करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। केंद्र सरकार के इस नमामि गंगे अभियान के बाद भी गंगा अभी भी अपने अस्तित्व के लिए लड़ाई लड़ रही है।
सरकार की गंगा नदी को निर्मल और अविरल बनाने के अभियान में अब भारतीय सेना के सेवानिवृत्त सैनिक हाथ बटाने आगे आये हैं। सेना के 100 दिग्गजों (veterans) ने इसे लेकर मोर्चा संभाला है। जन जागरूकता अभियान के अंतर्गत वह गंगा की पैदल परिक्रमा करेंगे जिसकी शुरुआत अगस्त 2020 से होगी। इस यात्रा को ‘मुंडमन गंगा परिक्रमा’ नाम दिया गया है।
मुंडमन गंगा परिक्रमा की सूचना देते हुए अतुल्य गंगा के संस्थापक गोपाल शर्मा ने बताया कि वर्षों से हम गंगा को स्वच्छ करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। लोग अभी भी इसे लेकर जागरूक नहीं हैं। ऐसे में गंगा के मैदानी क्षेत्र और आसपास बसे लोगों को इस नदी के पारिस्थितिकी तंत्र के महत्व को लेकर शिक्षित करने की आवश्यकता है। उन्हें यह बताने की आवश्यकता है कि अभी भी इसका हमारी अर्थव्यवस्था, जीवन शैली और आजीविका पर प्रभाव है।
बिहार में गंगा को बचाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम दिसंबर 2020 से फरवरी 2021 तक चलाया जायेगा। बिहार सरकार के पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार ने कहा कि राज्य में होने वाली यात्रा का राज्य सरकार पूर्ण सहयोग करेगी।
यह यात्रा लगभग पांच हजार किलोमीटर का यात्रा तय करेगी, जो 45 शहरों और लगभग 500 पंचायतों से होकर गुजरेगी। इस यात्रा के समय गंगा की रिवर मैपिंग भी की जायेगी और साथ ही इसके जल के नमूनों की जांच भी की जायेगी।
इस दल का नेतृत्व सेना पदक विजेता लेफ्टीनेंट कर्नल हेम लोहुमी करेंगे। इस पर्यंत गंगा के संरक्षण को लेकर चलाई जा रही योजनाओं की सूचना पूरी विश्व को प्रसारित करने के प्रयोजन से सेना के कर्नल मनोज केश्वर एक बाइक यात्रा पर भी निकलेंगे जो इसकी मशाल लेकर भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित इंडिया गेट से आरम्भ कर ब्रिटेन की राजधानी लंदन तक जाएंगे।