आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस नेता पी चिदंबरम की जमानत याचिका पर गुरुवार को उच्चतम न्यायालय ने निर्णय सुरक्षित रख लिया। न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को मामले से संबंधित संबंधित सभी दस्तावेज सीलबंद लिफाफे में पेश करने को कहा, जिन्हें जांच एजेंसी आधिकारिक तौर पर न्यायालय के सामने रखना चाहती है।
उच्चतम न्यायालय में ईडी की पैरवी कर रहेसॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने कहा कि चिदंबरम हिरासत में रहने के बावजूद, केस से संबंधित अहम गवाहों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। इस पर चिदंबरम की तरफ से पेश वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उनके पक्षकार के विरुद्ध प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ऐसा कोई सबूत नहीं है, जो यह साबित करता हो कि उन्होंने किसी गवाह को प्रभावित किया हो या सबूतों के साथ छेड़छाड़ की हो।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद बेंच ने निर्णय सुरक्षित रखा
दोनों पक्षों की तरफ से दलीले सुनने के बाद, न्यायाधीश आर भानुमति की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने चिदंबरम की जमानत याचिका पर निर्णय सुरक्षित रख लिया। उच्चतम न्यायालय चिदंबरम की उस अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने अपनी जमानत रद्द करने के दिल्ली उच्च न्यायलय के निर्णय को चुनौती दी थी।
चिदंबरम के विरुद्ध ईडी और सीबीआई के 2 केस
चिदंबरम पर आईएनएक्स मीडिया घोटाले में मुख्य भूमिका निभाने का आरोप है। ईडी और सीबीआई कलाग-अलग मामलों में उनके विरुद्ध जांच कर रही है। उच्चतम न्यायालय ने 22 अक्टूबर को उन्हें भ्रष्टाचार मामले में जमानत दे दी थी। ईडी केस में जमानत ने मिल पाने के चलते वे तिहाड़ जेल में बंद हैं। चिदंबरम को 21 अगस्त को सीबीआई ने उनके घर से गिरफ्तार किया था।