
संसद के शीतकालीन सत्र में गृहमंत्री अमित शाह सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 पेश करेंगे। भाजपा ने अपने सभी सदस्यों को अगले तीन दिन सदन में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया है। कांग्रेस समेत 11 विपक्षी दल विधेयक के विरोध में हैं। इस मुद्दे पर संसद में हंगामे के आसार हैं। राहुल गांधी ने कहा है कि हम भारतीयों के साथ भेदभाव नहीं होने देंगे। यह सभी धर्म, संस्कृति और समुदाय का देश है।
मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में नागरिकता बिल लोकसभा में पास हो गया था, लेकिन राज्यसभा में विघ्न गया था। केंद्रीय कैबिनेट से बिल को 4 दिसंबर को मंजूरी मिल गई थी। इस बिल के जरिए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के गैर-मुस्लिमों (हिंदुओं, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारतीय नागरिकता देने में सरलता होगी।
एआईएमआईएम प्रमुख सिंहुद्दीन ओवैसी ने भी नागरिकता बिल का विरोध किया है। उन्होंने कहा था- यदि इस बिल को संसद से मंजूरी मिलती है तो भारत इजराइल बन जाएगा। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी सना इल्तिजा जावेद ने भी बिल के विरोध में कहा- भारत में मुस्लिमों के लिए कोई जगह नहीं। सरकार मुस्लिम समुदाय को कमजोर करना चाहती है।
कांग्रेस समेत 11 विपक्षी दल धार्मिक आधार पर भेदभाव का आरोप लगाकर बिल का विरोध कर रहे हैं। उनकी मांग है कि नेपाल और श्रीलंका के मुस्लिमों को भी इसमें सम्मिलित किया जाए। कांग्रेस, शिवसेना, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, सपा, बसपा, राजद, माकपा, एआईएमआईएम, बीजद और असम में भाजपा की सहयोगी अगप विधेयक का विरोध कर रही हैं। जबकि, अकाली दल, जदयू, अन्नाद्रमुक सरकार के साथ हैं। बिल का असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में भी विरोध है। ऐसे में मोदी सरकार के लिए बिल को संसद पास कराना चुनौती होगा।
: यह कानून 1955 में आया। इसके अंतर्गत भारत सरकार अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के गैर-मुस्लिमों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को 11 वर्ष देश में रहने के बाद नागरिकता देती है।
जवाब: संशोधित विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के कला्पसंख्यक शरणार्थियों को नागरिकता मिलने की समयावधि घटाकर 1 से 6 वर्ष की गई है। साथ ही 31 दिसंबर 2014 तक या उससे पहले आए गैर-मुस्लिमों को नागरिकता के लिए पात्र होंगे। वैध दस्तावेजों के बिना पाए गए तो भी उन्हें जेल नहीं होगी।
जवाब: पूर्वोत्तरी राज्यों का विरोध है कि यदि नागरिकता बिल संसद में पास होता है बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिंदुओं को नागरिकता देने से यहां के मूल निवासियों के अधिकार समाप्त होंगे। इससे राज्यों की सांस्कृतिक, भाषाई और पारंपरिक विरासत पर संकट आ जाएगा।
जवाब: इसमें 1971 से पहले आए लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान था। सरकार का कहना है कि यह विधेयक असम तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह पूरे देश में प्रभावी होगा।
भाजपा केरल के कांग्रेस सांसद टीएन प्रतापन और डीन कुरियकोस के निलंबन से संबंधित प्रस्ताव भी पेश करेगी। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने शुक्रवार को आरोप लगाया था कि जब मैं सदन में बोल रही थी, तब कांग्रेस सांसद मुझे सबक सिखाना चाहते थे, क्योंकि उन्हें मेरा वक्तव्य आक्रामक लगा। कुछ सांसद तो मुझे सबक सिखाने के लिए बाहें मोड़ते हुए मेरे सामने आकर खड़े हो गए। इसके बाद सदन में हंगामा आरम्न्भ हो गया था। भाजपा नेता प्रह्लाद जोशी ने दोनों सांसदों के निलंबन की मांग की थी।