नयी दिल्ली : दिल्ली में वर्ष 2012 में हुए निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में फांसी की सजा पाये चार दोषियों में सम्मिलित औरंगाबाद जिला निवासी दोषी अक्षय कुमार की क्यूरेटिव याचिका को उच्चतम न्यायालय ने अस्वीकृत कर दिया है। साथ ही फांसी की सजा पर रोक को भी शीर्ष न्यायालय ने अस्वीकृत कर दिया है। मालूम हो कि ने दोषी अक्षय कुमार ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय का रुख करते हुए क्यूरेटिव याचिका प्रवेश की थी।
अक्षय की क्यूरेटिव याचिका पर उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायमूर्तियों वाली पीठ ने सुनवाई की। न्यायमूर्ति एनवी रमण की अध्यक्षता में गठित पीठ में न्यायाधीश अरुण मिश्रा, न्यायाधीश आरएफ नरीमन, न्यायाधीश आर भानुमति और न्यायाधीश अशोक भूषण सम्मिलित थे। क्यूरेटिव याचिका प्रवेश करते हुए दोषी अक्षय ने फांसी की सजा को आयुकैद में बदलने की मांग की थी। मालूम हो कि न्यायालय ने निर्भया सामूहिक दुष्कर्म के चारों दोषियों को एक फरवरी को फांसी देने की तिथि तय कर रखी है।
अक्षय ने अपनी याचिका में कहा था कि महिलाओं के विरुद्ध हिंसा पर जन दबाव और जनता की राय के कारण न्यायालयें सभी समस्याओं के समाधान के रूप में फांसी की सजा सुना रही है। अपराध की बर्बरता के आधार पर उच्चतम न्यायालय द्वारा मृत्यु की सजा सुनाने से न्यायालय और देश की अन्य फौजदारी न्यायालयों के फैसलों में असंगतता उजागर हुई है। साथ ही कहा गया है कि ‘मौत की सजा एक विशेष तरह का प्रतिरोध पैदा करती है, जो आयुकैद की सजा से नहीं हो सकता है। आयु कैद अपराधी को माफ करने जैसा है..। यह प्रतिशोध और प्रतिकार को न्यायोचित ठहराने के सिवा कुछ नहीं है।’
अक्षय ने याचिका में दावा किया है कि रेप और हत्या के करीब डेढ़ दर्जन मामलों में उच्चतम न्यायालय के तीन न्यायाधीशों की पीठ ने मृत्यु की सजा में परिवर्तन कर उसे हल्का किया है। एक अन्य मामले में नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में मृत्यु की सजा को न्यायालय ने पुनर्विचार निर्णय में घटा कर 20 वर्ष के सश्रम कारावास में तब्दील कर दिया। निर्णय का आधार दोषी की कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं बताया गया। उसके सुधार की अब भी गुंजाइश है। साथ ही अक्षय ने न्यायालय से जानना चाहा है कि यदि याचिकाकर्ता को आयुकैद दिया जाता है। वह जेल में रहते हुए परिवार के लिए मामूली आय अर्जित करने की अनुमति दी जाती है, तब क्या वह जेल के अंदर से समाज के लिए क्या खतरा पेश कर सकेगा? याचिका में पूर्व न्यायाधीश जेएस वर्मा कमेटी की एक रिपोर्ट का भी जिक्र किया गया है।