। शाहीन बाग में नागरिकता कानून के विरुद्ध पिछले 70 दिनों से जारी प्रदर्शन के समय शनिवार को सड़क खोलने और बंद करने का नजारा देखने को मिला। प्रदर्शनकारियों के एक धड़े ने रास्ता खोलकर स्थानीय लोगों को जाने दिया। थोड़ी ही देर बाद दूसरे गुट ने वहां पहुंचकर रास्ता फिर बंद कर दिया। कालिंदी कुंज की सड़क नंबर 9 पर एक बार फिर बैरिकेडिंग दिखी। इस घटनाक्रम की पुष्टि दिल्ली पुलिस के दक्षिण ईस्ट डीसीपी आरपी मीणा ने की।
इससे पहले, उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त मध्यस्थ वकील संजय हेगड़े और वकील साधना रामचंद्रन निरंतर चौथे दिन शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने पहुंचे। उन्होंने कहा- हम नहीं चाहते कि शाहीन बाग का आंदोलन समाप्त हो जाए। हम चाहते हैं कि शाहीन बाग कायम रहे। हम सड़क खाली करने के मुद्दे पर बात करने आए हैं। उन्होंने कहा- आप लोग आंदोलन जारी रखें। आप गृह मंत्री या सरकार जिससे भी मिलना चाहें, मिल सकते हैं। हम यहां सरकार की ओर से नहीं आए। वहीं, प्रदर्शनकारियों ने पिछले दो महीने में घटी घटनाओं की जांच कराने और सुरक्षा के लिए प्रदर्शन स्थल की स्टील शीट से घेराबंदी की मांग की।
– : प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। इसके लिए उच्चतम न्यायालय आदेश जारी करे। : शाहीन बाग और जामिया के लोगों पर दर्ज मामले वापस लिए जाए।
जब आसपास की कई सड़कें खुली हैं तो हमें प्रदर्शन के लिए दूसरे स्थान पर जाने के लिए क्यों कहा जा रहा? दिल्ली-नोएडा को जोड़ने वाली यह इकलौती सड़क नहीं। अपनी बात रखना आपका अधिकार है। आप जो कहना चाहते हैं वह कहें। हम मिलकर सभी प्रभावित पक्षों के लिए कोई निर्णय लें।
मध्यस्थों ने हमसे 20 लोगों के समूह में बातचीत की पेशकेश की थी। हमें यह मंजूर नहीं है। हम इकट्ठे वार्ताकारों से बात करेंगे। अगर बात नहीं बन पाई तो मामला फिर से उच्चतम न्यायालय जाएगा। ऐसा मत समझिए कि प्रदर्शन की जगह बदल देने से आपकी लड़ाई समाप्त हो जाएगी।
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में शाहीन बाग में जारी प्रदर्शन के बीच 69 दिन बाद शुक्रवार को वहां का रास्ता केवल 2 घंटे के लिए खोला गया था। पुलिस ने नोएडा और फरीदाबाद को जोड़ने वाले रास्ते से बैरिकेडिंग हटाई थी। प्रदर्शनकारी 15 दिसंबर से सड़क पर धरना दे रहे हैं। इससे नोएडा-फरीदाबाद की ओर जाने वाले रास्ते बंद हैं।
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को इस बात पर चिंता जताई थी कि शाहीन बाग वाली सड़क बंद होने से लोग परेशान हो रहे हैं। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को दूसरे स्थान पर जाने का सुझाव दिया था, जहां कोई सार्वजनिक स्थान इसके चलते बंद न हो। यद्यपि, न्यायालय ने इनके प्रदर्शन के अधिकार को जायज ठहराया था।
प्रदर्शनस्थल के आसपास कई दुकानें बंद हैं। कुछ दिन पहले स्थानीय नागरिक प्रदर्शन के विरुद्ध सड़कों पर उतरकर शीघ्र रास्ता खोलने की मांग की थी। उन्होंने पिछले सप्ताह उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी। इसमें कहा था कि प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए केंद्र और अन्य जिम्मेदारों को निर्देश दिए जाएं।