केंद्र सरकार ने सोमवार को असम के प्रतिबंधित बोडो संगठनों के साथ त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि समझौते के अंतर्गत केंद्र सरकार अलग बोडो राज्य की मांग के लिए बंदूक उठाने वालों के प्रति सहानुभूति दिखाएगी। उन्होंने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले लोग अब उग्रवादी नहीं, हमारे भाई हैं। इनमें से साफ-सुथरे रिकार्ड वालों को पैरामिलिट्री फोर्स में सम्मिलित किया जाएगा।
गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने प्रतिबंधित संगठनों के सदस्यों के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए। समझौते में असम के संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंड ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी), ऑल बोडो स्टूडेंट एसोसिएशन (एबीएसए) सम्मिलित हुए।
गृह मंत्री शाह ने कहा कि बोडो आंदोलन में मारे गए लोगों के परिवार को 5 लाख रुपए का क्षतिपूर्ति दिया जाएगा। केंद्र सरकार चार जिलों को 1500 करोड़ रुपए का विशेष पैकेज देगी। राज्य सरकार भी तीन वर्ष तक 250 करोड़ रुपए देगी। इससे बोडो और असम क्षेत्र का विकास होगा। उन्होंने कहा कि इससे दशकों से अलग बोडोलैंड की मांग के लिए हो रहा विवाद समाप्त होगा। यह स्थायी समझौता है, क्योंकि इसमें सभी पक्षों को साथ लिया गया है। पिछली बार की तरह 3 संगठनों को छोड़ा नहीं गया है।
उन्होंने कहा समझौते के अंतर्गत बोडोलैंड टेरिटोरियल एरिया डिस्ट्रिक्ट (बीटीएडी) को अब बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (बीटीआर) के नाम से जाना जाएगा। सरकार वहां एक केंद्रीय विश्वविद्यालय और एक नेशनल स्पोर्टस एकेडमी की स्थापना करेगी। पहाड़ी जिले के लोगों को केंद्र सरकार पहाड़ी जनजाति का दर्जा देगी। देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली बोडो भाषा असम की सहयोगी आधिकारिक भाषा बनाई जाएगी। असम में नवोदय विद्यालयों की संख्या बढ़ाई जाएगी और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी खोला जाएगा।
असम में अलग बोडोलैंड की मांग को लेकर आंदोलन आरम्न्भ होने के बाद पिछले 27 वर्ष में यह तीसरा समझौता है। पहला बोडो समझौता 1993 में हुआ था। इसके बाद सीमित राजनीतिक शक्तियों के साथ बोडोलैंड ऑटोनॉमस काउंसिल अस्तित्व में आया था। दूसरा समझौता 2003 में केंद्र सरकार और बोडो लिबरेशन टाइगर्स के बीच हुआ और चार जिलों वाले बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल का गठन हुआ। इसमें कोकराझार, चिरांग, बास्का और उदलगुरी जिले को सम्मिलित किया गया था।