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सीएए के विरुद्ध प्रदर्शन में उग्रवादी इस्लामी कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का हाथ

by मिथिलेश कुमार
जनवरी 28, 2020
Reading Time: 1 min

उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून के विरुद्ध हुई हिंसा में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) नाम के संगठन का हाथ होने के सबूत मिले हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हिंसा और पीएफआई के बैंक अकाउंट्स में जमा हुई राशि की तारीखों का मिलान करने के बाद यह जानकारी प्राप्त की। सोमवार को यह जानकारी एक नोट के जरिए गृह मंत्रालय को भेज दी गई।

पिछले महीने उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सीएए के विरुद्ध प्रदर्शन में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। इसमें सार्वजनिक संपत्ति को क्षति पहुंचाई गया था। ईडी सूत्रों के अनुसार, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में पीएफआई के बैंक अकाउंट्स की पड़ताल के बाद हिंसा के लिए धन का प्रयोग करने की जानकारी मिली थी। कई अकाउंट्स में हिंसा की तारीख को ही बड़ा लेन-देन मिला।

इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने भी केंद्र को भेजी गई रिपोर्ट में सीएए के विरुद्ध हुए प्रदर्शनों में हिंसा के लिए पीएफआई को जिम्मेदार बताया था। उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह ने कहा था कि सीएए के विरुद्ध हिंसक प्रदर्शन के लिए पीएफआई सीधे तौर पर जिम्मेदार है। उन्होंने कहा था कि हिंसा में सम्मिलित होने के सबूत मिलने के बाद संगठन के कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था। सिंह ने गृह मंत्रालय को चिठ्ठी लिखकर पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश भी की थी।

दिसंबर के महीने में सीएए के विरोध में उत्तर प्रदेश के 22 जिलों में उग्र प्रदर्शन हुए थे। इस पर्यंत 18 लोगों की जान गई, जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए। वहीं, सार्वजनिक संपत्तियों में तोड़फोड़ और आगजनी भी की गई। उस समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि जहां भी सार्वजनिक संपत्ति को प्रदर्शनकारियों ने क्षति पहुंचायी, उसकी भरपाई वीडियो फुटेज तथा अन्य पुष्ट प्रमाणों के आधार पर चिन्हित किए जा रहे लोगों की संपत्तियों को जब्त करके की जाए।

क्‍या है पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया

आपको बता दें कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया एक उग्र इस्लामी कट्टरपंथी संगठन है जिसे पिछले ही वर्ष झारखंड में प्रतिबंधित किया गया था। यह कदम राज्‍य सरकार ने इस संगठन के राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में सम्मिलित होने की आरोप के बाद उठाया था। इतना ही नहीं झारखंड सरकार ने माना था कि पीएफआई एक ऐसा संगठन है जो आतंकवादी संगठन आईएस से प्रभावित है।

राज्‍य सरकार को इस बात की भी जानकारी प्राप्त हुई थी कि इस संगठन से जुड़े कुछ लोग सीरिया समेत दूसरे आईएस प्रभाव वाले देशों में उपस्थित हैं।

केरल में भी इस संगठन को प्रतिबंधित करने को लेकर वर्ष 2018 में लोगों ने मांग की थी। यह मांग एर्नाकुलम में एफएफआई से जुड़े एक छात्र की क्रूर हत्या के बाद उठी थी। हालां‍कि, राज्‍य व्‍यापी विरोध के बाद भी वहां की सरकार ने इस मांग को अस्वीकृत करते हुए पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने से साफ इनकार कर दिया था।

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का गठन वर्ष 2006 में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट के सफल होने के बाद किया गया था।धीरे-धीरे इस संगठन से दूसरे कट्टरवादी सोच रखने वाले संगठन भी जुड़ते चले गए। वर्तमान में पीएफआई का प्रभाव 16 राज्यों में है और 15 से अधिक मुस्लिम संगठन इससे जुड़े हुए हैं। इस संगठन के सदस्‍यों की संख्‍या हजारों में पहुंच चुकी है। पीएफआई की एक महिला विंग भी है।

उत्तर प्रदेश और असम में हिंसक प्रदर्शनों में सम्मिलित रहने से पहले भी यह संगठन कई तरह की गैर कानूनी गतिविधियों में सम्मिलित रहा है। असम और उत्तर प्रदेश में इस संगठन से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी ने भी बहुत कुछ चीजें स्पष्ट कर दी थीं।

असम में जहां पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के प्रमुख अमिनुल हक और उसके प्रेस सचिव मुजीम हक की गिरफ्तारी हुई। वहीं, इसके बाद उत्तर प्रदेश से भी इस संगठन के प्रमुख वसीम की गिरफ्तारी की गई। इन दोनों के अतिरिक्त भी कुछ और लोगों की गिरफ्तारी हुई जो इसी संगठन से जुड़े थे। विदित हो कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीते वर्ष 19 दिसंबर को बहुत उग्र प्रदर्शन हुआ था, जिसके आयोजन के पीछे वसीम का हाथ था। वसीम के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश पुलिस ने पीएफआई के कोषाध्‍यक्ष अश्‍फाक और दो सदस्‍यों नदीम और मोहम्‍मद शादाब को भी गिरफ्तार किया था।

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