एक हतप्रभ कर देने वाले और बेहद शर्मनाक निर्णय में पाकिस्तान की एक न्यायालय का कहना है कि अपहृत नाबालिग कैथोलिक इसाई लड़की का निकाह इस्लामी शरिया कानून के अंतर्गत वैध है यदि उसे पहली माहवारी आ चुकी हो। लड़की के माता-पिता ने न्यायाधीशों द्वारा शरिया कानून के तहत दिए गए इस निर्णय पर निराशा जताई।
पाकिस्तान के कराची शहर की जिया कॉलोनी की रहने वाली 14 साल की हुमा यूनुस को उसके घर से अपहरण कर लिया गया, जिसे पड़ोसी राज्य पंजाब ले जाया गया। उसे इस्लाम में जबरन परिवर्तित करके उसके मुस्लिम अपहरणकर्ता ने उसे शादी करने के लिए मजबूर किया।
हुमा के माता-पिता ने सिंध उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की जिसमें बाल विवाह निरोधक अधिनियम के तहत विवाह को रद्द करने की मांग की गई थी। इस मामले की सुनवाई 3 फरवरी को दो सदस्यीय पीठ ने की थी। जस्टिस मुहम्मद इकबाल कल्होरो और इरशाद अली शाह ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि हुमा और उनके कथित अपहरणकर्ता अब्दुल जब्बार के बीच निकाह को इस्लामिक शरिया कानून के तहत वैध माना जाएगा, यदि उसे पहला मासिक धर्म आ चूका हो।

न्यायालय ने पुलिस को कैथोलिक लड़की की आयु निर्धारित करने के लिए और समय दिया और सुनवाई 4 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी।
लड़की के पिता यूनुस मासिह ने कहा, “हम अदालत की सुनवाई में अपनी बेटी को देखने की उम्मीद कर रहे थे। 14 अक्टूबर को उसके अपहरण के बाद से हमने उसे नहीं देखा था। हमें यह भी उम्मीद थी कि अदालत न्याय प्रदान करेगी और हमें हमारी बेटी को हमें सौंपेगी पर ऐसा नहीं हुआ।”
उन्होंने कहा, “हमने कैथोलिक बपतिस्मा प्रमाणपत्र और उसके स्कूल के प्रमाणपत्र से लेकर अन्य सभी दस्तावेज दिए जिसमें यह वर्णित है कि लड़की का जन्म 22 मई 2005 को हुआ है ।”
“हम तब सदमे की स्थिति में थे जब न्यायाधीशों ने हमारे साक्ष्य पर विचार तक नहीं किया और शादी को सही ठहराने के लिए शरिया कानून का हवाला दिया।”
लड़की की मां नगीना ने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के लिए कोई न्याय नहीं है, जहां उनके साथ समान व्यवहार नहीं किया जाता है।
“एक लड़की की माँ होने के नाते न्यायाधीशों की टिप्पणी ने मुझे अंदर से तोड़ दिया ,” उसने कहा।
कराची आर्चडायसी के विक्टर जनरल और “नेशनल कमीशन फॉर जस्टिस एंड पीस” के निदेशक सालेह डिएगो ने कहा कि पाकिस्तान में गैर मुस्लिम लड़कियों का अपहरण और जबरन शादी करना इतना आम है कि इसे स्वतंत्र मानव अधिकार संगठनों द्वारा अच्छी तरह से प्रलेखित किया गया है।
“कुछ महीने पहले ही सिंध में दो हिंदू नाबालिग लड़कियों के अपहरण का मामला आया था,” उन्होंने कहा।
हुमा के वकील तबस्सुम यूसुफ अभी भी उच्च न्यायालय से न्याय की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “अगर जरूरत पड़ी तो हम सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।”
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पाकिस्तानी अदालत ने नाबालिग हिंदू लड़की महक की शादी को अमान्य करार दिया
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला Updated Wed, 19 Feb 2020 08:03 PM IST
रूबी जी, लड़की का नाम पढ़ें । वह दूसरी घटना है। पाकिस्तान में ऐसे घटनाएं इतनी आम है कि आपको सब एक जैसी ही लगेगी । महक कुमारी वाली घटना यहाँ प्रकाशित है http://www.jaibihar.com/pakistan-court-nullifies-converted-minor-hindu-girls-marriage/