पाकिस्तान के सिंध प्रांत से जबरन धर्म परिवर्तन और निकाह के लिए अपहृत की गई हिन्दू लड़की महक के मामले में पाकिस्तान के जैकोबाबाद की एक न्यायालय ने कड़ी सुरक्षा के बीच बड़ा निर्णय सुनाया है। न्यायालय ने महक की शादी को अमान्य घोषित करते हुए उसके पति समेत 7 लोगों पर मामला दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। न्यायालय ने कहा है कि महक के अभी बालिग नहीं होने के कारण से उसकी शादी कानूनी तौर पर मान्य नहीं है।
न्यायालय के आदेशानुसार महक को बालिग होने तक बाल संरक्षण गृह में रखा जाएगा।
पाकिस्तान के समाचार पत्र डॉन की रिपोर्ट के अनुसार न्यायालय ने महक से विवाह करने वाले अली रजा सोलंगी समेत उन सात लोगों पर पुलिस से चौबीस घंटे में मुकदमा दर्ज करने को कहा जिन्होंने इस विवाह को अंजाम दिलाने में अपनी भूमिका निभाई थी। वहीं अखबार जंग की रिपोर्ट के मुताबिक, जैकोबाबाद पुलिस ने बुधवार को इन सातों के विरुद्ध बाल विवाह कानून के अंतर्गत मामला दर्ज कर लिया। इनमें सोलंगी, कथित निकाह को कराने वाला व दरगाह अमरोट शरीफ का प्रबंधक सैयद सिराज अहमद शाह भी सम्मिलित हैं।
इससे पहले यह दावा किया गया था कि महक ने अपनी मर्जी से सोलंगी से विवाह किया है जो उसके घर में नौकर था। कक्षा नौ की छात्रा महक 15 जनवरी को विद्यालय से घर नहीं लौटी थी। एक सप्ताह बाद पुलिस को पता चला कि वह और सोलंगी अमरोट शरीफ दरगाह में हैं। यह कहा गया कि दोनों ने अपनी मर्जी से शादी कर ली है और महक ने इस्लाम कबूल करते हुए अपना नाम अलीजा रख लिया है। यद्यपि, बाद में एक पेशी के समय महक ने न्यायालय से साफ कहा था कि वह अपने माता-पिता के साथ रहना चाहती है।
न्यायाधीश गुलाम अली कंसारो ने अपने निर्णय में कहा कि महक 18 वर्ष से कम की लग रही है और इस वजह से सिंध बाल विवाह नियंत्रण कानून 2013 के अंतर्गत विवाह के लिए सही नहीं है। उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से इस बाल विवाह में सम्मिलित सभी लोगों पर 24 घंटे के अंदर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया। न्यायाधीश कंसारो ने महक को बाल संरक्षण गृह में भेजने का निर्देश दिया। पुलिस से महक की पुख्ता सुरक्षा करने को कहा गया है।
मामले की सुनवाई के समय जैकोबाबाद में अभूतपूर्व सुरक्षा प्रबंध किए गए थे। पांच जिलों की पुलिस यहां लगाई गई थी। न्यायालय की तरफ जाने वाले सभी रास्तों को कंटीले तार लगाकर बाधित कर दिया गया था। हिंदू समुदाय के सदस्यों, मानवाधिकार संगठनों, सिंधी राष्ट्रवादियों, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की महिला शाखा की सदस्यों, सिंध सूफी संगत व कई अन्य ने महक को न्याय दिलाने के लिए शहर में प्रदर्शन किया। उनका कहना था कि महक जबरन धर्मातरण की शिकार हुई है।
जबकि, कई मुस्लिम धार्मिक संगठनों के आह्वान पर शहर पूरी तरह से बंद रहा। उनका कहना था कि महक ने स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन किया है। वह अब मुस्लिम है, यदि उसे वापस उसके घर भेजा गया तो वे इसे सहन नहीं करेंगे। उसे उसके पति को सौंपा जाए। लेकिन, इन संगठनों ने महक को बाल संरक्षण गृह भेजे जाने के न्यायालय के निर्णय के प्रति विरोध नहीं जताया।
महक के साथ हो रहे अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाने वाले पाकिस्तान में जन्मे मानवाधिकार कार्यकर्ता राहत जॉन ऑस्टिन ने महक चौधरी और अल्पसंख्यक बच्चियों के साथ हो रहे अत्याचार पर एक समाचार पत्र से कहा कि पाकिस्तान में सभी लोगों को समान अधिकार देकर ‘रियासत-ए-मदीना’ बनाने का वचन करने वाले प्रधानमंत्री इमरान खान मुस्लिम कट्टरपंथियों के आगे पूरी तरह से नतमस्तक हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि महक चौधरी पाकिस्तान में वर्षों से अल्पसंख्यकों को मुस्लिम बनाने के लिए चल रही फैक्ट्री की सुनियोजित साजिश का ताजा शिकार हुई है।