पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा का कार्यकाल 6 महीने बढ़ाने का आदेश दिया। लगातार तीन दिन चली सुनवाई के बाद गुरुवार को तीन जजों की बेंच ने संक्षिप्त आदेश जारी किया। कहा गया- सेना मुख्य के कार्यकाल विस्तार या पुर्ननियुक्ति पर संसद 6 महीने में नया कानून बनाए। इमरान खान सरकार बाजवा को तीन वर्ष एक्सटेंशन देना चाहती थी। सरकार के निर्णय को उच्चतम न्यायालय में याचिका के जरिए चुनौती दी गई थी। इमरान खान ने न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि इससे देश के दुश्मनों और देश में मौजूद माफिया को विशेष तौर निराशा हाथ लगी होगी।
पुराने मामलों पर भी प्रश्न उच्चतम न्यायालय ने सेना मुख्य के कार्यकाल विस्तार संबंधी मामले पर तीन दिन लगातार सुनवाई की। सरकार से संबंधित दस्तावेज पेश करने को कहा गया। दो पूर्व सेनाध्यक्षों का मामला भी सामने आया। जनरल अशफाक परवेज कयानी और राहिल शरीफ के मामलों को भी संज्ञान में लिया गया। तीन जजों की बेंच ने अटॉर्नी जनरल से पूछा- कयानी का कार्यकाल किस आधार पर बढ़ाया गया था। राहिल शरीफ को एक्सटेंशन क्यों नहीं मिला? अटॉर्नी जनरल ने न्यायालय को बताया कि उनके पास दोनों मामलों के दस्तावेज नहीं हैं। इस पर मुख्य न्यायाधीश खोसा ने पूछा- हैरानी है, सेना प्रमुख का कार्यकाल तीन वर्ष बढ़वाना चाहते हैं और आपके पास 10 वर्ष का रिकॉर्ड नहीं है। इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने बाजवा को सिर्फ 6 महीने का एक्सटेंशन मंजूर किया। बेंच ने कहा- सरकार पुर्ननियुक्ति या सेवा विस्तार पर स्पष्ट कानून लाए। यह काम संसद का है।
सेना सख्त नाराज मामला एक जनहित याचिका के माध्यम से उच्चतम न्यायालय पहुंचा। सुनवाई हुई तो सरकार की कलई खुल गई। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को अटॉर्नी जनरल से पूछा- एक्सटेंशन का नोटिफिकेशन तो राष्ट्रपति जारी करता है। आप कैबिनेट की समरी कैसे लेकर आए। इसमें भी 25 में से सिर्फ 11 मंत्रियों के दस्तखत हैं। गुरुवार को सरकार ने नई समरी पेश की। लेकिन, बेंच इससे भी संतुष्ट नहीं थी। दूसरी तरफ, सेना के पूर्व अफसरों ने फौज की जगहंसाई पर सरकार को आड़े हाथों लिया। सेवानिवृत्ड जनरल अमजद शोएब ने कहा- यह पूरी फौज की बेइज्जती है। इमरान ने मंगलवार को लापरवाही के आरोप में अपने कानून मंत्री को हटा दिया था।