बिहार की राजधानी पटना का सब्जीबाग, लालबाग, आलमगंज और आसपास का इलाका मुस्लिम बाहुल्य है और हमेशा से ही सांप्रदायिक दृष्टि से संवेदनशील मन जाता रहा है। इसके बाद भी हिन्दू श्रद्धालु छात्रों द्वारा विद्या की देवी – सरस्वती की पूजा के बाद मूर्ति विसर्जन जुलूस के समय प्रशासन ने कोताही बरती।
संवेदनशील क्षेत्र से बिना पर्याप्त सुरक्षा दिए ही जुलूस जाने की अनुमति दे दी गई। गुरुवार को अशोक राजपथ पर फ्लैग मार्च कराया गया था, लेकिन शुक्रवार को जब मूर्ति विसर्जन होना था, तो पटना कॉलेज से एनआईटी मोड़ तक पुलिस की पर्याप्त तैनाती नहीं की गई।
गत वर्ष सितंबर में इसी स्थान पर पथराव में एक बुजुर्ग की मृत्यु हो गई थी। परन्तु पुलिस व प्रशासन पूर्व में घटी अप्रिय घटनाओं से सीख नहीं ली।
घटना के बाद करीब दो घंटे तक अशोक राजपथ पर खुदाबख्श लाइब्रेरी से महेंद्रू तक ट्रैफिक को रोक दिया गया। ट्रैफिक रोक देने से लोग पैदल चलने पर मजबूर हो गए। घटना के बाद आसपास की दुकानें बंद हो गईं। मोहल्ले के लोग सड़क पर आ गए जबकि छात्र हॉस्टल चले गए। बाद में पुलिस की देखरेख में अशोक राजपथ से गुजर रही मूर्तियों का रानीघाट में विसर्जन कराया गया।
जिस समय घटना हुई उस समय दर्जनों मोहल्ले के जुलूस निकले हुए थे। इस घटना के कारण से सबों को जहां-तहां रोक दिया गया। इस घटना से पहले सैदपुर हॉस्टल के छात्रों ने कदमकुआं में भी उपद्रव मचाया। कई वाहनों को निशाना बनाया। फिर किसी अनहोनी की आशंका को देखते हुए पुलिस मौके पर कैंप किए हुए थी। क्षेत्र में रतवाही बढ़ा दी गई थी।
मिंटो व सैदपुर हॉस्टल के छात्रों के बीच कई बार मूर्ति विसर्जन से लेकर अन्य मौकों पर भिड़ंत हो चुकी है। पुलिस बार-बार पटना विवि के हॉस्टलों में छापेमारी भी करती है। बम-बारूद भी बरामद किया जा चुका है। यही नहीं अशोक राजपथ पर मूर्ति विसर्जन के समय भी इस तरह के कांड हो चुके हैं।
जिलाधिकारी कुमार रवि ने बताया कि उपद्रवियों की पहचान की जा रही है। जो भी इसमें सम्मिलित होंगे, उनपर कार्रवाई होगी।