पटना – राज्य में जब पूर्ण मद्य निषेध है, तो फिर शराब कैसे मिल रही है। एक-दो लीटर नहीं, कहीं सैकड़ों तो कहीं हजारों लीटर शराब पकड़ी जा रही है। एक जगह से दूसरे जगह शराब ले जाना कोई मामूली बात नहीं है। जब तक पुलिस और उत्पाद विभाग के अधिकारी इस कार्य में संलिप्त नहीं हो, यह संभव नहीं है।
पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की एकलपीठ ने शराब की खेप के साथ पकड़े गये लोगों की जमानत अर्जी पर सुनवाई के समय यह बात कही। न्यायालय ने इन सभी मामलों की सुनवाई के लिए अगली तिथि 14 फरवरी तय की है।
न्यायालय ने सभी जिलाधिकारियों को 13 फरवरी तक अपने स्तर से उत्तर देने का आदेश दिया है।
न्यायालय का कहना था कि पूर्ण मद्य निषेध कानून लागू करने का उत्तरदायित्व जिलाधिकारी का है। लेकिन जिस प्रकार शराब की जब्ती हो रही है, उससे लगता है कि यह कानून का सिर्फ दिखावा है। न्यायालय का कहना था कि जब मद्य निषेध है, तो एक जगह से दूसरे जगह शराब ले जाते पकड़े जाने पर कितने कर्मियों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की गयी है। मद्य निषेध कानून के अंतर्गत कितने पर कार्रवाई की गयी।
न्यायालय ने यह भी कहा कि राज्य में कैसे दूसरे राज्य से शराब आ रही है, जबकि जगह-जगह पुलिस थानों के अतिरिक्त चेक पोस्ट, बैरियर और उत्पाद विभाग के कर्मी तैनात हैं।
न्यायालय का कहना था कि बेरोजगार युवक पैसे और अपनी जीविका चलने के लिए इस धंधे में लगे हुए हैं।