पटना : पटना हाइकोर्ट ने राज्य के सभी जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को निर्देश दिया कि वह ग्राम कचहरी से संबंधित सभी आपराधिक और दीवानी मामलों को चिह्नित कर संबंधित ग्राम कचहरी में स्थानांतरित कर दें. मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश मोहित कुमार शाह की खंडपीठ ने इस संबंध में दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. सुनवाई के समय राज्य सरकार की ओर से न्यायालय को बताया गया कि दो लाख से अधिक दीवानी और फौजदारी मामलों का निबटारा ग्राम कचहरी के माध्यम से किया जा चुका है. न्यायालय के इस निर्देश से राज्य के साढ़े आठ हजार ग्राम कचहरियों को उनके स्तर के मामले की सुनवाई का अधिकार मिल पायेगा. न्यायालय को बताया गया था कि ग्राम कचहरी के पूर्ण रूप से कार्य नहीं करने के कारण ग्राम कचहरी से संबंधित मामले या तो थाने में या निचली अदालतमें चल रहे हैं. इससे निचली अदालतों में मुकदमों का बोझ बढ़ गया है. ग्राम कचहरी के अधिकार ग्राम कचहरी को दो तरह के अधिकार दिये गये हैं. धारा-106 एवं 107 के अंतर्गत सुनवाई का अधिकार है. ग्राम कचहरी को भारतीय दंड संहिता की धारा-140, 142, 143, 144, 145, 147, 151, 153, 160, 172, 174, 178, 179, 269, 277, 283, 285, 286, 289, 290, 294, 294(ए), 332, 334, 336, 341, 352, 356, 357, 374, 403, 426, 428, 430, 447, 448, 502, 504, 506, एवं 510 के अंतर्गत किये गये अपराधों के लिए केस को सुनने एवं निर्णय देने का अधिकार दिया गया है. धारा-113 के अंतर्गत किसी थाना प्रभारी पदाधिकारी को भी ग्राम कचहरी द्वारा विचारणीय अपराध की सूचना दिये जाने का प्रावधान है. धारा-114 के अंतर्गत जब कभी किसी न्यायालय को ऐसा प्रतीत हो कि मामला ग्राम कचहरी के द्वारा विचारणीय है, तो मामला उसकी अधिकारिता को भेज दिया जायेगा. धारा-115 के अंतर्गत न्यायालय स्वत: या सूचना प्राप्त हाने पर ग्राम कचहरी के द्वारा विचाराधीन मामले को वापस कर देगा.