बिहार की राजनीति में राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुके रघुवंश प्रसाद सिंह को लेकर लगाई जा रही सभी अटकलों पर आज विराम लग गया। कोरोना की रोग से उबरे रघुवंश प्रसाद सिंह फेफड़ों के संक्रमण से ग्रसित हैं। दिल्ली अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में इलाजरत रघुवंश प्रसाद सिंह ने अपना त्यागपत्र चिकित्सालय के शय्या से ही स्वयं लिखकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेज दिया है।
बिहार में राष्ट्रीय जनता दल की छवि कैसी है यह किसी से छिपी नहीं है। यही कारण है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव हो या नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, उनकी कही बातों का बिहार के लोगों पर बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ता था। लेकिन आरजेडी में रघुवंश प्रसाद सिंह एकमात्र ऐसे नेता थे जिनके ऊपर अब तक कोई दाग नहीं लगा था। सादगी भरे रहन सहन और स्पष्टवादी होने के कारण से उनकी छवि एक ईमानदार नेता के रूप में बनी हुई थी। आज की तिथि में आरजेडी के कई नेता, कई तरह के आरोपों में कारावास में बंद हैं। ऐसे में रघुवंश प्रसाद सिंह ही एकमात्र ऐसे नेता थे जो आरजेडी का झंडा बुलंद किए हुए थे। व्यक्त रूप से चुनाव के समय उनका पार्टी छोड़ना आरजेडी के लिए नुकसानदेह होगा।
रघुवंश प्रसाद ने आरजेडी से दिया त्यागपत्र, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में बिस्तर पर लेटे-लेटे पार्टी को भेजी चिट्ठी
पार्टी में आपराधिक छवि वालों को सम्मिलित कराने के विरोधी थे रघुवंश प्रसाद सिंह
आरजेडी से त्यागपत्र देने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह की छवि ईमानदार नेता की तो थी ही। इसके अतिरिक्त वह पार्टी में किसी भी आपराधिक छवि वाले व्यक्ति को सम्मिलित कराने के विरुद्ध थे। हाल ही में नेता प्रतिपक्ष और लालू प्रसाद के पुत्र तेजस्वी यादव ने वैशाली जिले के बाहुबली नेता रामा सिंह को पार्टी में सम्मिलित कराने का प्रयास किया थी, लेकिन रघुवंश प्रसाद के पुरजोर विरोध के बाद उन्हें आज तक पार्टी में सम्मिलित नहीं कराया जा सका। विदित हो कि आरजेडी के ऊपर पहले से ही आपराधिक छवि के व्यक्तियों को संरक्षण देने का आरोप लगता रहा है, ऐसे में यदि रामा सिंह को लेकर रघुवंश प्रसाद सिंह ने त्यागपत्र दिया है तो, इसका प्रभाव पार्टी पर और भी बुरा पड़ेगा। विदित हो कि 2014 में एलजेपी की टिकट पर रामा सिंह ने रघुवंश प्रसाद सिंह को चुनाव में शिकस्त दी थी।
समाजवादी नेता है रघुवंश प्रसाद सिंह
गौरतलब है कि चार मामले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव के पास अब वैसी राजनीतिक शक्ति नहीं है, जैसी कि पहले हुआ करती थी। विदित हो कि रघुवंश प्रसाद सिंह एक समाजवादी नेता के रूप से भी जाने जाते हैं। ऐसे में चुनाव के समय उनका आरजेडी का छोड़ना, लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक शक्ति को और भी कम कर देगा। यद्यपि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि रघुवंश प्रसाद सिंह जेडीयू का दामन थामेंगे या भारतीय जनता पार्टी में जाएंगे लेकिन, इतना तय है कि उनके आरजेडी छोड़ने के बाद समाजवादियों का भी लालू प्रसाद यादव से मोह भंग हो सकता है।
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रघुवंश प्रसाद सिंह जैसे वरिष्ठ नेता को राज्यसभा भी नहीं भेजा आरजेडी ने
लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 मैं बुरी तरह हार का सामना करने वाले आरजेडी को जब राज्यसभा चुनाव में अवसर मिला, तब यह कयास लगाए जा रहे थे कि राजनीतिक रूप से हाशिए पर चले गए रघुवंश प्रसाद सिंह को लालू प्रसाद यादव द्वारा राज्यसभा भेज दिया जाए जाएगा। लेकिन आरजेडी सुप्रीमो ने लालू प्रसाद यादव ने उस समय व्यवसायी अमरेंद्र धारी सिंह और अपने पुराने राजदार प्रेमचंद गुप्ता को राज्यसभा भेज दिया। तब लालू प्रसाद यादव के इस निर्णय से रघुवंश प्रसाद सिंह के जाति के लोग बहुत नाराज हुए थे। अब रघुवंश प्रसाद सिंह का पार्टी छोड़ना जातीय आधार पर भी लालू प्रसाद यादव की पार्टी को हानि पहुंचा सकता है।
लालू प्रसाद यादव के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव ने रघुवंश को बताया था लोटे का पानी
कुछ दिन पहले ही लालू प्रसाद के बड़े पुत्र और पूर्व बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव ने रघुवंश प्रसाद सिंह को लोटे का जल करार दिया था। वास्तव में, जब पत्रकारों ने तेज प्रताप यादव से यह प्रश्न पूछा था कि, रामा सिंह को लेकर रघुवंश प्रसाद सिंह नाराज हैं और क्या वह पार्टी छोड़ देंगे। तब तेज प्रताप यादव ने कहा था की पार्टी एक समुद्र के समान होता है उसमें से एक लोटा जल निकलने से समुद्र को कोई अंतर नहीं पड़ता। रघुवंश प्रसाद सिंह आरजेडी के इकलौते नेता नहीं है जिन्हें अपमान का घूंट पीकर पार्टी में रहना पड़ा था इसके पहले लालू प्रसाद यादव के अत्यंत करीबी रामकृपाल यादव ने भी पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया था। आज रामकृपाल यादव पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के सांसद हैं। अर्थात आरजेडी में वरिष्ठ नेताओं उपेक्षा आम बात है। ऐसे में वरिष्ठ नेताओं का उपेक्षित होकर पार्टी छोड़ना आरजेडी को हानि पहुंचा सकता है।
लालू यादव को होगा दोस्त गंवाने का गम
आरजेडी की कमान इन दिनों तेजस्वी यादव संभाल रहे हैं। लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष अभी भी लालू प्रसाद यादव ही हैं। रघुवंश प्रसाद के जाने से लालू प्रसाद यादव को दुख होना लाजमी है। क्योंकि रघुवंश प्रसाद ऐसे नेता रहे हैं जिनसे लालू अपना घरेलू सुख दुख भी शेयर किया करते थे। अर्थात आरजेडी को जहां राजनीतिक हानि होगा, वहीं लालू को रघुवंश के पार्टी से अलग होने पर व्यक्तिगत हानि भी होगा।