सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की मंगलवार को लखनऊ के मॉल एवेन्यू स्थित बोर्ड के कार्यालय में बैठक हुई,जिसमें बहुमत से तय किया गया कि-अयोध्या केस में उच्चतम न्यायलय के निर्णय के विरुद्ध पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं की जाएगी। बैठक में मौजूद सात में से छह सदस्यों ने इस पर सहमति दी है। सिर्फ एक सदस्य अब्दुल रज्जाक ने इस निर्णय का विरोध किया। वहीं, पांच एकड़ भूमि लेने के मुद्दे पर अगली बैठक में विचार होगा।बोर्ड के आठ सदस्यों में से प्रयागराज से वकील कोटे से इमरान माबूद खां ने बैठक का बहिष्कार किया।
बोर्ड के सदस्यअब्दुल रज्जाक ने कहा- "सुन्नी वक्फ बोर्ड अयोध्या केस में उच्चतम न्यायलय के निर्णय के विरुद्ध रिव्यू पिटीशन दायर नहीं करेगा। सात में छह सदस्यों ने इस पर सहमति दी है। मैं इकलौता सदस्य था, जिसने यह आवाज उठाई थी कि, रिव्यू पिटीशन दाखिल हो। भूमि लेने या न लेने पर विचार अगली बैठक में होगा।" इससे पहले सरकार भूमि लेने के लिए ऑफर करेगी।अब्दुल रज्जाक चाहते थे कि पुनर्विचार याचिका दाखिल हो, लेकिन अन्य सदस्यों ने इस पर सहमति नहीं जताई।
बोर्ड चेयरमैन जुफर फारुकी ने कहा- ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड एक अलग संस्था है,फिर उसके निर्णय पर हम क्यों कोई विचार करें।बैठक में बोर्ड चेयरमैन के अतिरिक्त गोरखपुर से अदनान फरूखशर, सुल्तानपुर से अबरार अहमद, लखनऊ से मोहम्मद जुनैद सिद्दीकी,लखनऊ से ही सैय्यद अहमद अली,मोहम्मदजुनीद, अब्दुल रज्जाक खां सम्मिलित हुए।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने लिया था रिव्यू पिटीशन का निर्णय
उच्चतम न्यायलय में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील रहे जफरयाब जिलानी औरऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने न्यायलय के निर्णय के विरुद्ध पुर्नविचार याचिका दाखिल करने का निर्णय लिया है। जबकि, वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ने साफ किया था कि वे इस निर्णय के विरुद्ध नहीं जाएंगे। बैठक में यह तय होगा किवक्फ बोर्ड पुर्नविचार याचिका डालेगा या नहीं। बता दें किऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अयोध्या केस में वादी नहीं था।
तो दस्तावेजों से हटेगा बाबरी मस्जिद का नाम अगली बैठक में वक्फ बोर्ड के दस्तावेजों से बाबरी मस्जिद का नाम हटाने पर भी मुहर लगने की संभावना है। सर्वेक्षण वक्फ कमिश्नर विभाग ने 75 वर्ष पहले वर्ष 1944 में सुन्नी वक्फ बोर्ड के दस्तावेजों में बाबरी मस्जिद को दर्ज कराया था। यह वक्फ नंबर 26 पर बाबरी मस्जिद अयोध्या जिला फैजाबाद नाम से दर्ज है,जिसे उच्चतम न्यायलय के निर्णय के बाद अब हटाया जाना है। सुन्नी वक्फ बोर्ड के दस्तावेज रजिस्टर दफा 37 में एक लाख 23 हजार से अधिक वक्फ संपत्तियां दर्ज हैं।