दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण और वायु की गुणवत्ता को लेकर उच्चतम न्यायलय ने सोमवार को केंद्र पर तल्ख टिप्पणी की। न्यायलय ने केंद्र से पूछा कि दिल्ली के लोगों को गैस चैंबर में रहने को क्यों मजबूर किया जा रहा है। न्यायाधीश अरुण मिश्रा की बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, &ldquoलोग इस तरह तकलीफ झेलने को मजबूर क्यों रहें, श्रेष्ठतर तो यह होगा कि 15 बैगों में एक साथ विस्फोट करके उन्हें एक बार में मार दीजिए। हम स्तब्ध हैं कि अब भी दिल्ली में एक-दूसरे पर इल्जाम लगाने का खेल चल रहा है।&rdquo
कोर्ट ने कहा- लोग हमारी हंसी उड़ा रहे हैं कि हम पराली जलाना तक नहीं रोक सकते। आरोप-प्रत्यारोप से दिल्ली के लोगों का भला नहीं होगा। प्रदूषण को गंभीरता से न लेकर आप लोग इल्जाम लगा रहे हैं। न्यायाधीश अरुण मिश्रा ने कहा- दिल्ली का हाल नर्क से भी बदतर है। भारत में जिंदगी इतनी सस्ती नहीं है, आपको इसकी कीमत चुकानी होगी। आपको कुर्सी पर बैठने का अधिकार नहीं है। दिल्ली के मुख्य सचिव से न्यायलय ने कहा-आप हर आदमी को कितने लाख रुपए देंगे? आपकी नजर में किसी की जिंदगी की कीमत क्या है?
10 दिन में एयर प्यूरिफायर टॉवर्स लगाने की योजना बनाएं केंद्र और दिल्ली सरकार
दिल्ली के मुख्य सचिव ने न्यायलय में कहा- शक्ति के 2 केंद्र होने के कारण से दिल्ली गवर्नेंस की समस्या झेल रही है। इस पर अदालत ने दोनों सरकारों को अपने मतभेद परे रखकर, 10 दिन में शहर के अलग-अलग हिस्सों में हवा साफ करने वाले टॉवर (एयर प्यूरिफायर टॉवर्स) लगाने की योजना पेश करने के आदेश दिए। अदालत ने कहा कि वह राजधानी में जल प्रदूषण के मामले में स्वयं संज्ञान लेकर जांच करेगी कि लोगों को मिल रहा पेयजल सुरक्षित है या नहीं। न्यायलय ने केंद्र और दिल्ली सरकार को इससे संबंधित सभी आंकड़े प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव से कहा- समझ लें, किसी को बख्शा नहीं जाएगा
जस्टिस अरुण मिश्रा ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव से कहा- पराली जलाने की घटनाएं बढ़ी हैं, ऐसे में आपको और आपकी मशीनरी को सजा क्यों नहीं दी जानी चाहिए? हम आपको बख्शने वाले नहीं हैं। सभी को यह समझ लेना चाहिए कि इस मामले में किसी को नहीं बख्शा जाएगा। इस पर उप्र के मुख्य सचिव ने अदालत को बताया कि राज्य में पराली जलाने वालों के विरुद्ध 1000 एफआईआर की जा चुकी हैं और करीब 1 करोड़ रुपए का जुर्माना किया जा चुका है। न्यायलय ने मुख्य सचिव से कहा कि वह दंड देने के आंकड़े गिनाने की बजाय सुधारात्मक कदमों के बारे में बताएं।
पंजाब-हरियाणा को नसीहत- लोगों को इस तरह मरने के लिए नहीं छोड़ सकते
उच्चतम न्यायलय ने हरियाणा सरकार से पूछा कि राज्य में पराली जलाने की घटनाएं क्यों बढ़ी हैं। न्यायाधीश अरुण मिश्रा और दीपक गुप्ता की बेंच ने कहा- पराली जलाने पर नियंत्रण को लेकर आपने पहले श्रेष्ठतर काम किया, लेकिन अब यह फिर बढ़ गया है, ये आपकी विफलता है।पंजाब और हरियाणा कुछ नहीं कर रहे हैं। बेंच ने पंजाब के मुख्य सचिव से कहा- हम राज्य की हर संस्था को जिम्मेदार ठहराएंगे। आप लोगों को इस तरह मरने के लिए नहीं छोड़ सकते। दिल्ली में दम घुटने लगा है। दिल्ली-एनसीआर के लोगों को मरने और कैंसर से जूझने के लिए इसलिए नहीं छोड़ा सकता, क्योंकि आप कारगर कदम उठाने में नाकाम रहे।
सीपीसीबी से दिल्ली मेंफैक्ट्रियों के प्रदूषण पर रिपोर्ट तलब की
उच्चतम न्यायलय ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) से दिल्ली में चलने वाली फैक्ट्रियों से पर्यावरण पर होने वाले दुष्प्रभाव पर रिपोर्ट फाइल करने को कहा। न्यायलय ने सीपीसीबी से राजधानी में चलने वाली फैक्ट्रियों के प्रदूषण के प्रकार का ब्यौरा भी दाखिल करने को कहा
पीने का साफ जल और शुद्ध हवा उपलब्ध कराने के लिए नोटिस
उच्चतम न्यायलय ने पीने के साफ जल के मुद्दे पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस भी जारी किया।कोर्ट ने नोटिस में पूछाकि लोगों को पीने का साफ जल और शुद्ध हवा उपलब्ध कराने में नाकाम रहने पर उन्हें जिम्मेदार क्यों न ठहराया जाए। अदालत ने 6 सप्ताह में नोटिस का उत्तर मांगा है।