चेन्नई – एक शल्यचिकित्सक ने अपने साथी चिकित्सक को आधी रात एक कब्रगाह में गाड़ा। उन्होंने दो सहयोगियों की सहायता से हाथों से 10 फीट गहरी कब्र में मिट्टी डाली और साथी को अंतिम विदा दी।
डॉo सिमोन हरकुलिस की रविवार को मृत्यु हो गई। रिपोर्ट्स के अनुसार, चिकित्सक एक रोगी से कोरोनावायरस से संक्रमित हो गए थे और उनकी मृत्यु हो गई।
यह घटना रविवार की है। पुलिस ने इस सम्बन्ध में 21 व्यक्तियों को बंदी बनाया है और इनके विरुद्ध दंगे का मामला दर्ज किया गया है। मद्रास उच्च न्यायालय ने इस मामले को स्वत: संज्ञान में लिया है और तमिलनाडु सरकार को नोटिस भेजा है।
साथी चिकित्सक प्रदीप कुमार कुछ स्वास्थ्यकर्मियों के साथ सिमोन का शव एम्बुलेंस में लेकर दफनाने के लिए निकले। लेकिन, रास्ते में उन पर भीड़ ने आक्रमण कर दिया। भीड़ का कहना था कि शव को दफनाने से संक्रमण फैल जाएगा। समाचार एजेंसी के अनुसार, भीड़ ने एम्बुलेंस पर पत्थर, डंडों और बोतलों से आक्रमण बोल दिया। इस पर्यंत कई स्वास्थ्यकर्मी घायल हो गए। पुलिस की उपस्थिति के होते हुए भी भीड़ ने इन व्यक्तियों को भागने पर विवश कर दिया। दो कब्रगाहों पर इन्हें शव को दफन नहीं करने दिया गया।
डॉo प्रदीप ने बताया कि शव को गाड़ी से उतारकर कब्रगाह तक लाने वाले दो चालक घायल हुए हैं। कब्रगाह के दो अधिकारियों को भी गंभीर चोटें आईं हैं। तीन अन्य पर भी भीड़ ने आक्रमण किया। तद्पश्चात डॉo प्रदीप ने केवल दो रोगीकक्ष में कार्यरत लड़कों और सुरक्षा उपायों के साथ शव को दफन करने का निर्णय किया। अर्धरात्रि में डॉo प्रदीप स्वयं एम्बुलेंस चला कर कब्रगाह पहुंचे। उन्होंने बताया कि 8-10 फीट गहरी कब्र को भरने के लिए उनके पास एक फावड़ा मात्र था। मैंने उसे एक लड़के को दिया और फिर हम दो लोग हाथों से कब्र में मिट्टी भरने लगे।
डॉo प्रदीप को अपने साथी चिकित्सक का शव आधी रात करीब 1.30 बजे दो लड़कों की सहायता से स्वयं ही कब्र खोदकर दफन करना पड़ा। उन्होंने बताया कि पुलिसकर्मी भी हमारे करीब नहीं आ रहे थे। हम लोग भी प्रत्येक कार्य बहुत तेजी से कर रहे थे, क्योंकि डर था कि कहीं पुन: आक्रमण ना कर दिया जाए।