। उच्च न्यायालय ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में फीस बढ़ोतरी के मामले में दायर छात्र संघ की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की। उच्च न्यायालय ने कहा कि नए शैक्षणिक सत्र के लिए छात्रों का पंजीयन पुराने हॉस्टल नियमों के अनुसार किया जाए। इसके अतिरिक्त न्यायालय ने कहा- विंटर सेशन के लिए छात्रों को एक सप्ताह के भीतर पंजीयन करना होगा और उनसे कोई लेट फीस नहीं ली जाएगी। छात्र संघ ने कहा कि हॉस्टल मैनुअल में परिवर्तन को इंटर हॉस्टल एडमिनिस्ट्रेशन (आईएचए) ने अनुचित तरीके से मंजूरी दी। विश्वविद्यालय को किसी भी तरह का एक्शन लेने से रोका जाए। जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष और अन्य पदाधिकारियों ने अपनी याचिका में आईएचए और उच्चस्तरीय समिति की फीस बढ़ोतरी को चुनौती दी है। याचिका में कहा गया कि आईएचए ने जो निर्णय लिया है, वह मनमाना, दुर्भावना से भरा हुआ और अवैध है। छात्र संघ ने दावा किया कि हॉस्टल मैनुअल में परिवर्तन की आईएचए की अनुशंसाएं जेएनयू एक्ट 1966 के विरुद्ध हैं। इन अनुशंसाओं में आईएचए में छात्रसंघ की भागीदारी को कम करना, हॉस्टल में रहने वालों के लिए फीस में बढ़ोतरी और हॉस्टल मैनुअल में परिवर्तन सम्मिलित हैं। इन सभी चीजों का आरक्षित श्रेणी के छात्रों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
- सिंगल रूम के लिए किराया 10 रु। और डबल रूम के लिए 20 रुपए प्रतिमाह था, यह अब बढ़ाकर क्रमश: 300 रु। और 600 रु। कर दिया गया है।
- गरीबी रेखा से नीचे की श्रेणी में आने वाले छात्रों से सिंगल रूम के लिए 150 और डबल रूम के लिए 300 रु। किराया वसूलने की अनुशंसा की गई है।
- पहले कोई भी यूटिलिटी और सर्विस चार्ज नहीं लगाया जाता था, लेकिन अब विश्वविद्यालय सामान्य श्रेणी के छात्रों से 1000 और बीपीएल श्रेणी के छात्रों से 500 रु। लेगी।