यूरोपीय संघ की संसद में 150 सांसदों ने भारत के नागरिकता कानून के विरुद्ध प्रस्ताव लाया। इसमें कहा गया है कि इससे भारत में नागरिकता तय करने का तरीका बदलेगा। एक बड़ी आबादी का कोई देश नहीं रह जाएगा। प्रस्ताव पर बुधवार को बहस और गुरुवार को वोटिंग होगी। इसके उत्तर में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने यूरोपीय संघ की संसद के अध्यक्ष डेविड मारिया ससौली काे चिट्&zwnj ठी लिखी। इसमें बिरला ने कहा है कि यूरोपीय संघ की संसद प्रस्ताव पर पुनर्विचार करे। भारत का नागरिकता कानून पड़ोसी देशों में धार्मिक प्रताड़ित लोगों को नागरिकता देने के लिए है। यह किसी की नागरिकता नहीं छीनता। भारतीय संसद में चर्चा के बाद इसका बिल पास किया गया। यूरोपीय संघ संसद को भारत के कानून और संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए। यह लोकतंत्र के लिए अहम बात है। एक विधायिका का दूसरी विधायिका पर निर्णय सुनाना अनुचित है। उधर, पश्चिम बंगाल विधानसभा में भी नागरिकता कानून के विरुद्ध प्रस्ताव पास हो गया।।
- भारत में नागरिकता संशोधन कानून लागू होने से दुनिया में बड़ा मानवीय संकट जन्म ले सकता है।
- यह कानून धार्मिकता के आधार पर भेदभाव करता है। इसलिए यह अल्पसंख्यक लोगों के विरुद्ध है।
- यह मानवाधिकार और राजनीतिक संधियों की भी अवमानना है।
- अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समझौते के अनुच्छेद-15 का उल्लंघन है।
अमेरिका के 30 शहरों में सीएए के विरोध और समर्थन में प्रदर्शन हुए। विरोध में शिकागो समेत अन्य शहरों में लोगों ने मानव श्रृंखला बनाई। इसमें भारतीय अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल, इक्विलिटी लैब्स, काले लाइव्स मैटर, जेविश वॉयस फॉर पीस और हिंदुज फॉर ह्यूमन राइट्स संगठनों ने भाग लिया। वहीं, न्यूयॉर्क, ह्यूस्टन में समर्थन में रैलियां निकाली गईं। यहां लोग ने भारत माता की जय के नारे लगाए।
असम को देश से अलग करने के पूर्व जेएनयू छात्र शर्जील इमाम के भाषण पर दिल्ली में बवाल मचा। यहां चुनावी सभा में गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि भारत के टुकड़े करने की बात करने वालों को जेल भेजने की अनुमति है या नहीं?
शाह के वक्तव्य पर केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा- शर्जील ने असम को देश से अलग करने की बात कही। यह अत्यंत गंभीर है। आप देश के गृह मंत्री हैं। आपका यह वक्तव्य निकृष्ट राजनीति है। आपका धर्म है कि आप शर्जील को तुरंत गिरफ्तार करें। आप उसे गिरफ्तार क्यों नहीं कर रहे।