पटना / बेतिया – दिल्ली के निजामुद्दीन तबलीगी जमात से कोरोना के मामले बढ़ने के बाद नेपाल से कोरोना संदिग्ध भारतीय मुसलमानों को भारत में घुसपैठ कराये जाने की सूचना मिलने के बाद सीमाई क्षेत्र का प्रशासनिक अमला सतर्क हो गया है। सशस्त्र सीमा बल से मिली सूचना के आधार पर पश्चिम चंपारण के जिलाधिकारी ने बेतिया-बगहा के पुलिस अधीक्षक को गोपनीय पत्र लिख कर चौकसी बरतने का निर्देश दिया है। भारत में कोरोना संदिग्धों को घुसपैठ कराने के मामले में नेपाल के जालिम मियां का नाम सामने आया है।
भारत में कोरोना संदिग्धों को घुसपैठ कराने का आरोप लगने पर जालिम मियां ने फेसबुक पर वीडियो साझा करते हुए सफाई दी है। जालिम मियां ने अपने ऊपर लगे आरोपों के संबंध में फेसबुक लाइव के माध्यम से कहा है कि उसके विरुद्ध षड़यंत्र रची गयी है। वह प्रत्येक तरफ से जांच के लिए तैयार है। इसके लिए उसने गृह मंत्रालय, सरकार तथा स्थानीय प्रशासन को भी सूचना दी है। जालिम मियां का कहना है कि वह राजनीतिक व्यक्ति है। इसलिए फंसाया जा रहा है। सम्पूर्ण विश्व में कोरोना का प्रकोप है। ऐसे में क्या मैंने ही प्रत्येक जगह कोरोनावायरस फैलाया है। उसने मामले में जांच कर षड़यंत्र रचनेवाले के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत के सीमावर्ती जिले पूर्वी चंपारण के रक्सौल शहर से सटे नेपाल के शहर में जालिम मियां का आतंक है। लकड़ी की तस्करी से प्रारंभ करनेवाला जालिम मियां पर पाकिस्तान की गुप्त एजेंसी आईएसआई के इशारे पर भारतीय जाली नोट का व्यापार करने का भी आरोप है। यही नहीं, जालिम मियां पर हिंदूवादी नेता की हत्या का भी आरोप है। अब जालिम मियां पर नेपाल में हुए इज्तिमा के बहाने पाकिस्तान के लोगों को नेपाल बुलाने और नेपाली परिचय पत्र पर भारत के दिल्ली स्थित निजामुद्दीन मरकज के तबलीगी जमात में भेजने का आरोप लगा है। बताया जाता है कि जालिम मियां को नेपाल के सत्तारूढ़ दल के अध्यक्ष और माओवादी नेता प्रचंड का वरदहस्त प्राप्त है। प्रतिबंधित लकड़ी की तस्करी के आरोप में जालिम मियां कारावास भी जा चुका है।
जालिम मियां भारतीय गुप्त एजेंसियों के रडार पर उस समय पहली बार आया था, जब नेपाल में आईएसआई के संचालक यूनुस अंसारी के कहने पर पाकिस्तान से आनेवाले जाली भारतीय नोटों को भारत में पहुंचाने लगा था। उसके करीबी लोगों की गिरफ्तारी के बार वह गायब हो गया था।
नेपाल पुलिस ने जब यूनुस अंसारी को गिरफ्तार किया और भारतीय गुप्त एजेंसियों ने भारत विरोधी कार्य करनेवालों का मुठभेड़ आरम्न्भ किया, तो जालिम माओवादी पार्टी में सम्मिलित हो गया। जालिम मियां पर हिंदू युवा संघ के अध्यक्ष काशी तिवारी की हत्या में सम्मिलित होने का भी आरोप है। हत्याकांड में वह कई महीनों तक हिरासत में भी रह चुका है। बाद में जमानत पर कारावास से बाहर आने के बाद नेपाल के स्थानीय निकाय चुनाव में वह माओवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और भारतीय सीमा से सटे नेपाल के जगन्नाथपुर गांव पालिका का प्रधान बन गया। जगन्नाथपुर ग्राम विकास समिति का प्रधान बनने के बाद जालिम मुखिया की गतिविधि पूर्वी व पश्चिम चंपारण जिले के सीमावर्ती क्षेत्र सिकटा एवं कंगली थाना क्षेत्र में बढ़ने लगी।